“सीचेवाल मॉडल” नहीं, इंजीनियरों द्वारा बनाया गया ‘थापर मॉडल’ फेल

संत सीचेवाल ने ‘सीचेवाल मॉडल की गारंटी’ दी

जालंधर (अरोड़ा) :- पर्यावरण प्रेमी और राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने दावा किया कि ‘सीचेवाल मॉडल’ कहीं भी फेल नहीं हुआ, बल्कि इंजीनियरों द्वारा बनाया गया ‘थापर मॉडल’ हर जगह असफल रहा है। पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा द्वारा सीचेवाल मॉडल को असफल करार देने पर प्रदेश भर में रोष फैल गया है। लोगों का मानना है कि राजनीतिक नेता केवल बयानबाजी कर समस्याओं को उलझाने में रुचि रखते हैं। राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बातचीत के दौरान कहा कि 1999 से उनके अपने गांव सीचेवाल में यह मॉडल सफलतापूर्वक कार्यरत है। उन्होंने बताया कि जब भी किसी गांव में कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो वहां के स्थानीय लोग सबसे पहले समाधान खोजते हैं, न कि किसी इंजीनियर को बुलाते हैं। उन्होंने कहा कि पहले गांवों में लोग लोहारों से काम करवाते थे, न कि इंजीनियरों का इंतजार करते थे। सीचेवाल मॉडल को असफल बताने वालों पर कटाक्ष करते हुए संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि पंजाब के लगभग 250 गांवों में यह मॉडल पूरी सफलता के साथ चल रहा है और वे इसकी गारंटी देते हैं।

इसके विपरीत, थापर मॉडल पूरी तरह विफल साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि थापर इंजीनियरों ने सीचेवाल मॉडल की नकल भी सही ढंग से नहीं की। उन्होंने संगरूर की विधायक नरिंदर कौर भराज के क्षेत्र का दौरा करने का हवाला देते हुए कहा कि वहां लाखों रुपये खर्च कर थापर मॉडल के तहत गंदे पानी की निकासी का प्रबंध किया गया था, लेकिन यह बुरी तरह से फेल हो गया। वहां के लोग परेशान हैं और विभाग के इंजीनियरों ने स्वयं स्वीकार किया कि वे पानी की निकासी सही ढंग से नहीं कर सके। संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बताया कि साल 2022 में थापर यूनिवर्सिटी पटियाला में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस के दौरान एक प्रदर्शनी में थापर मॉडल को भी दिखाया गया था। जब उन्होंने इसे देखा तो पाया कि पानी के कनेक्शन उलटे लगाए गए थे। उन्होंने इंजीनियरों को इस गलती के बारे में चेताया, लेकिन उन्होंने इसे सुधारने की जरूरत नहीं समझी। उल्लेखनीय है कि थापर इंजीनियरिंग कॉलेज के विशेषज्ञों ने सीचेवाल मॉडल को ही अपनाने के लिए संत सीचेवाल से संपर्क किया था। बॉक्स आइटम : गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए भी अपनाया गया सीचेवाल मॉडल देश की 2525 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए 1657 गांवों में सीचेवाल मॉडल को लागू करने का फैसला केंद्र सरकार द्वारा किया गया था। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में पांच राज्यों के पंच-सरपंचों के सम्मेलन के दौरान सिर्फ सीचेवाल मॉडल की प्रदर्शनी को 7 केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में प्रस्तुत किया गया। उस समय उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत भी मौजूद थे। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर, हरियाणा और मध्य प्रदेश के जबलपुर क्षेत्र की नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए भी सीचेवाल मॉडल को रोल मॉडल माना गया।

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