विषय विशेषज्ञ के रूप में डाॅ. ई.वी स्वामीनाथन ने विद्यार्थियों को व्यक्तिगत जीवन में तनाव के मुख्य कारणों, पढ़ाई के दौरान इसके शारीरिक व मानसिक प्रभावों के बारे में जानकारी दी
जालंधर (अरोड़ा) :- आई.के. गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (आईकेजी पीटीयू) में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी कपूरथला के सहयोग से पढ़ाई के दौरान होने वाले तनाव विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें प्रख्यात वक्ता डॉ. ई.वी स्वामीनाथन ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। विश्वविद्यालय मुख्य परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) सुशील मित्तल विशेष रूप से उपस्थित रहे! डीन अकादमिक प्रोफेसर (डॉ) विकास चावला ने कार्यक्रम के आयोजन का नेतृत्व किया! यह पहल विश्वविद्यालय के अकादमिक विभाग एवं छात्र कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से की गई। विश्वविद्यालय पहुंचने पर मुख्य वक्ता डॉ. स्वामीनाथन और उनकी टीम का डीन अकादमिक प्रोफेसर (डॉ.) विकास चावला एवं संकाय सदस्यों द्वारा स्वागत किया गया! डीन अकादमिक डॉ. विकास चावला ने अतिथियों का विश्वविद्यालय से परिचय कराया तथा स्वागत संदेश दिया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस.के.मिश्रा ने इस आयोजन के लिए एक सन्देश के जरिए बधाई दी।





विषय विशेषज्ञ डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि तनाव एक आम समस्या है जिसका सामना छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान करते हैं। इसका कारण कठिनाइयां, दबाव या भविष्य की चिंता भी हो सकती है। डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि आज के तेजी से बदलते युग में विद्यार्थियों पर शैक्षणिक तनाव बढ़ रहा है। परीक्षा, होमवर्क और आधुनिक तकनीक के बढ़ते प्रभाव के कारण छात्रों के बीच तनाव एक बड़ी समस्या बन गई है। तनाव न केवल सीखने में बाधा डालता है, बल्कि मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है।
छात्रों को एक योजनाबद्ध अध्ययन कार्यक्रम बनाना चाहिए और पढ़ाई के साथ-साथ आराम और मनोरंजन का संतुलन बनाए रखना चाहिए! उन्होंने प्रतिदिन 10 से 15 मिनट योग और ध्यान करके मन को शांत रखने की सलाह दी! उन्होंने कहा कि इससे तनाव कम होता है। डॉ। स्वामीनाथन ने पीपीटी के माध्यम से कई उदाहरण दिए और छात्रों को तनाव मुक्त रहने के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) सुशील मित्तल ने कहा कि तनाव एक आम चुनौती है, लेकिन इसे सही दृष्टिकोण और आत्म-नियंत्रण से प्रबंधित किया जा सकता है। छात्रों को अपनी पढ़ाई की योजना बनाने, समय सारिणी के अनुसार अध्ययन करने और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा तैयार करनी चाहिए, जिससे वे अत्यधिक तनाव से बच सकें। दीर्घकालिक योजना बनाने से परीक्षा से पहले तनाव से बचा जा सकेगा। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को इस तरह के जागरूकता बढ़ाने वाले सेमिनार लगातार आयोजित करने के लिए प्रेरित किया गया! उन्होंने कहा कि इससे विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ता है और उन्हें सामाजिक बुराइयों से दूर रहने की प्रेरणा मिलती है। कार्यक्रम के अंत में विषय विशेषज्ञ डॉ. स्वामीनाथन ने छात्रों को ध्यान के माध्यम से सकारात्मक पक्ष पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में बताया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधिकारी, संकाय, कर्मचारी और छात्र शामिल हुए।