सेमिनार में जमीनी स्तर की राजनीति में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने की रणनीतियों पर की गई चर्चा
जालंधर (मोहित अरोड़ा) :- कन्या महाविद्यालय (स्वायत्त) ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), उत्तर पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र द्वारा भारत में पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) में महिलाओं की भागीदारी के उभरते रुझान और मीडिया की भूमिका पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। यह सेमिनार राजनीति विज्ञान विभाग और पीजी पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
मुख्य अतिथि नीलम माहे (पीसीएस), उप निदेशक, रोजगार सृजन, कौशल विकास एवं प्रशिक्षण, जालंधर एवं उपस्थित अतिथियों को सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य प्रो. (डॉ.) अतिमा शर्मा द्विवेदी ने उपस्थित लोगों को बताया कि सेमिनार का मुख्य उद्देश्य राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के वर्तमान रुझानों पर चर्चा करना और जमीनी स्तर पर महिलाओं की राजनीतिक नीतियों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करना है ताकि महिलाओं की राजनीतिक नीतियों को मजबूत किया जा सके। राज्य में संस्थाएं, मीडिया परिवर्तन और शासन का मुख्य चालक है। उन्होंने आगे कहा कि केएमवी हमेशा से महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, जिसका प्राथमिक ध्यान प्रगतिशील शिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में विभिन्न मूल्यवर्धित पाठ्यक्रमों के माध्यम से नेतृत्व और रोजगार कौशल विकसित करने पर रहा है। मुख्य अतिथि केएमवी की पूर्व छात्रा नीलम माहे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हालांकि सामाजिक परिवर्तन कभी भी क्रांतिकारी प्रक्रिया नहीं होती, बल्कि यह धीरे-धीरे होता है, लेकिन चुनाव लड़ने के रूप में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी निश्चित रूप से चुनौतियों का सामना कर रहे पितृसत्तात्मक सामाजिक ढांचे को रेखांकित करने वाला एक सकारात्मक संकेत है।
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उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने और शिक्षित करने के लिए केएमवी द्वारा शुरू से ही किए गए प्रयासों और पहलों की भी सराहना की। मुख्य वक्ता डॉ. अमीर सुल्ताना, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के महिला अध्ययन एवं विकास विभाग सह केंद्र की एसोसिएट प्रोफेसर ने अपने विचार व्यक्त किए। इस विषय के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक पहलू यह हैं कि पंजाब में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी का हालिया रुझान काफी बढ़ गया है, खासकर भारतीय संविधान
के 73वें और 74वें संशोधन के बाद। भारत के राष्ट्रपति का उदाहरण देते हुए, जो प्रारंभिक वर्षों में पंचायती राज से जुड़े थे, उन्होंने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक स्तर पर इस तरह की भागीदारी को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। अपने अध्यक्षीय भाषण में, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. सतनाम सिंह देओल ने महिलाओं के चुनाव लड़ने, निर्णय लेने और प्रभावी शासन के अर्थ, कारणों, विभिन्न चुनौतियों और बाधाओं पर प्रकाश डाला। डॉ. सतनाम सिंह ने केएमवी के संस्थापकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने महिला सशक्तीकरण की परिकल्पना की थी और इस संस्था को सामाजिक परिवर्तन तथा आर्थिक स्वायत्तता के लिए कौशल विकास के केंद्र के रूप में स्थापित किया था, जो राजनीतिक सशक्तीकरण का एकमात्र मार्ग है। उन्होंने कहा कि मीडिया आज एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में प्रभावी रूप से योगदान दे सकता है और महिलाओं के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करके एक महत्वपूर्ण सुविधाकर्ता बन सकता है, क्योंकि महिलाओं में सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है। अपने समापन भाषण के दौरान, प्रो. (डॉ.) रणबीर सिंह, प्रमुख, पत्रकारिता और जन संचार विभाग, आई.के.जी. पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कपूरथला ने पीआरआई में महिलाओं की भागीदारी के इर्द-गिर्द कहानी को आकार देने में पारंपरिक और डिजिटल मीडिया की भूमिका की जांच की गई।
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उन्होंने विभिन्न तरीकों और रणनीतियों का उल्लेख किया जिनके माध्यम से मीडिया अधिक महिलाओं को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित करने में रचनात्मक भूमिका निभा सकता है। दो तकनीकी सत्रों में विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के बाद जन प्रतिनिधि अधिकारों के विकास से लेकर महिलाओं के प्रतिनिधित्व तक के प्रमुख विषयों के विभिन्न पहलुओं पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। पंचायती राज संस्थाओं में महिला प्रतिनिधियों के लिए सामाजिक-आर्थिक बाधाएं और अवसर, शासन में महिलाओं की भागीदारी पर सरकारी पहलों और नीतियों का प्रभाव, पुरुष-प्रधान राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं के लिए उभरती चुनौतियां, महिलाओं की निरंतर भागीदारी को बढ़ावा देने में मीडिया की भूमिका आदि पर भी प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए डॉ. इकबाल सिंह और सहजपाल सिंह ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों के प्रति उनकी प्रेरक अंतर्दृष्टि और विचारों के आदान-प्रदान के लिए औपचारिक रूप से आभार व्यक्त किया। प्राचार्य महोदया ने सेमिनार के सफल आयोजन के लिए डा. मधुमीत, डीन, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और राजनीति विज्ञान विभाग की प्रमुख आशिमा साहनी के प्रयासों की सराहना की।