जालंधर (अरोड़ा) :- डीएवी कॉलेज, जालंधर की पंजाबी साहित्य सभा ने “भाषा के बदलते रुझान” विषय पर युवा पैनल चर्चा आयोजित की। इस कार्यक्रम में पंजाबी भाषा और साहित्य के प्रति उत्साही छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उप प्राचार्य प्रो. कुंवर राजीव ने अतिथियों का स्वागत किया और आज की पीढ़ी के लिए मातृभाषा प्रति प्रेम के लिए ऐसे मंचों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सांस्कृतिक पहचान के इस महत्वपूर्ण पहलू पर युवा दृष्टिकोण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर दिया। छात्र लवप्रीत सिंह, प्रभदीप सिंह, इंद्रजीत, रसनीत और अंश ने वैश्विक दुनिया में पंजाबी की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने पंजाबी प्रवासियों की व्यापक उपस्थिति पर प्रकाश डाला और तर्क दिया कि भाषा को न केवल क्षेत्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए, बल्कि पंजाबी विरासत की आधारशिला के रूप में भी देखा जाना चाहिए।
अतिथि वक्ता डॉ. सेवक सिंह ने विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में शब्द के महत्व पर जोर देते हुए ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैसे शबद मानवता को ईश्वर से जोड़ता है और छात्रों से पंजाबी भाषा की समृद्ध साहित्यिक और आध्यात्मिक विरासत का पता लगाने का आग्रह किया। प्रो. सुखदेव सिंह रंधावा, अध्यक्ष, पंजाबी विभाग ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए पंजाबी साहित्य सभा की प्रशंसा की। उन्होंने पंजाबी भाषा के संरक्षण और प्रचार में भाषाई जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डाला। सहजप्रीत कौर और डॉ. गुरजीत कौर, पप्रभारी, पंजाबी साहित्य सभा द्वारा संचालित चर्चा में छात्रों और शिक्षकों के बीच एक जीवंत इंटरैक्टिव सत्र शामिल था। डॉ. साहिब सिंह ने पंजाबी भाषा के उपयोग पर अपनी विशेषज्ञता को प्रकट किया। डॉ. राजन शर्मा ने डॉ. सेवक सिंह, संकाय सदस्यों और भाग लेने वाले छात्रों का धन्यवाद ज्ञापित करके कार्यक्रम का समापन किया। इस अवसर पर प्रो. कंवलजीत सिंह, डॉ. किरणदीप कौर, डॉ. साहिब सिंह, प्रो. प्रवीण लता, प्रो. किरण, प्रो. सुरुचि, डॉ. विनोद बिश्नोई और डॉ. रिचा उपस्थित रहे।
