आम आदमी पार्टी , मेयर पद के प्रबल दावेदार को आखिर किन कारणों से नही जीता पायी? क्या पार्टी नही चाहती थी की बंटी जीते?
या कुछ और ही खेला हो गया बंटी के साथ?
जालंधर (ब्यूरो) – इतिहास गवाह है आज तक बंटी ने जिस जिस का भी साथ दिया वो हमेशा जीते, उनको जताने के लिए बंटी, उनकी पूरी टीम और उनके परिवार की तरफ से दिन-रात एक कर दिया गया, फिर उन्हीं के साथ यार मार क्यों हुई?
तस्वीर अब दिन बा दिन साफ हो रही है कि बंटी हारा नहीं उसको हराया गया है। गंदी राजनीति की भेंट चढ़ गया बंटी। जालंधर की राजनीति में सबसे बेदाग और इमानदार चेहरे को इसीलिए हराया गया कि अगर ये जीत गया तो किसी को हराम की कमाई खाने नहीं देगा। अगर कॉरपोरेशन से करप्शन खत्म हो गई तो ये नेता लोग कहां जाएंगे सूत्रों से मिली जानकारी मे पता चला कि अंदर खाते मोहिंदर भगत और सुशील रिंकू ने हाथ मिलाया और पुलिस प्रशासन को भी बंटी के एरिया से दूर रखा। जब सुशील रिंकू और शीतल अंगूरल टीटू के लिए जलसे और डोर टू डोर कर रहे थे और लोगों को बीजेपी के लिए वोट देने की अपील कर रहे थे उस वक्त भी मोहिंदर भगत ने बंटी के इलाके में केवल एक ही मीटिंग की और उस एरिया में आए भी नहीं। भगत समाज की बहुत सी वोट बंटी के एरिया में है अगर मोहिंदर भगत एक अपील ही कर देते अपने समाज को बंटी को वोट देने के लिए तो कहानी कुछ और ही होती मगर अंदर खाते भगत समाज को बीजेपी को वोट करने को कहा गया। सबसे ज्यादा डेवलपमेंट बस्ती शेख में करवाने वाला पांच साल लोगों को अपने परिवार की तरह पालने वाला करोना काल में अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों के घरों में रोटी पहुंचाने वाला एक ईमानदार चेहरा गंदी राजनीति की भेंट चढ़ गया।