जालंधर (अरोड़ा) :- डीएवी यूनिवर्सिटी में पंजाबी बुद्धिजीवियों की बैठक के दूसरे दिन अत्याधुनिक शोध, सतत विकास और विज्ञान और समाज के प्रतिच्छेदन पर विचारोत्तेजक चर्चा हुई। दिन की शुरुआत आईएनएसए के मानद वैज्ञानिक डॉ. आरसी सोबती और डीएवी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. मनोज कुमार की अध्यक्षता में एक तकनीकी सत्र से हुई। दुनिया भर के प्रख्यात शोधकर्ताओं ने अपने अभूतपूर्व कार्य प्रस्तुत किए। पर्ड्यू यूनिवर्सिटी, यूएसए के डॉ. भारत भार्गव ने सहयोगी हमलों और बचाव पर विस्तार से चर्चा की, उभरते साइबर सुरक्षा खतरों और उनके प्रतिवादों पर प्रकाश डाला।
पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला के डॉ. हरदेव सिंह विर्क ने पंजाब में कृषि के सतत विकास के लिए भारी धातुओं के कारण भूजल प्रदूषण की जांच की बात की। पांचवें सत्र में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से डॉ. रौनकी राम ने भाग लिया, जिन्होंने समकालीन पंजाब में सामाजिक विज्ञान अनुसंधान को समस्या-समाधान तंत्र से जोड़ने के लिए व्यवहार्य मार्गों की खोज पर चर्चा की। इस सत्र में पंजाब में सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामाजिक विज्ञानों के एकीकरण पर जोर दिया गया। सत्र की अध्यक्षता डॉ. के.एन. कौल और डॉ. के.एस. थिंड ने की। प्रतिभागियों ने छात्रों के साथ एक संवादात्मक सत्र भी आयोजित किया, जिसमें युवा दिमागों और अनुभवी बुद्धिजीवियों के बीच संवाद को बढ़ावा दिया गया। डॉ. आर.सी. सोबती की अध्यक्षता में समापन सत्र दिन का मुख्य आकर्षण रहा। इसमें पंजाब अकादमी ऑफ साइंसेज के सचिव डॉ. एन.आर. धामीवाल और डॉ. अमरीक सिंह आहलूवालिया सहित आयोजन समिति के सदस्यों के भाषण शामिल थे। डॉ. एच.एस. बुट्टर और पंजाब अकादमी ऑफ साइंसेज के अध्यक्ष ने पारंपरिक विरासत और आधुनिक वैज्ञानिक जांच के बीच की खाई को पाटने के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रमुख भाषण दिए।