डीएवी यूनिवर्सिटी में बुद्धिजीवियों ने विरासत को संरक्षित करने और विज्ञान को बढ़ावा देने का लियासंकल्प

जालंधर (अरोड़ा) :- डीएवी यूनिवर्सिटी में दुनिया भर से आए पंजाबी बुद्धिजीवियों पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने और युवाओं में वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रेरित करने का संकल्प लिया। डीएवी यूनिवर्सिटी द्वारा पंजाब एकेडमी ऑफ साइंसेज के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय पंजाबी बुद्धिजीवियों के सम्मेलन में पंजाबी शोधकर्ताओं और साहित्यिक विद्वानों के सामने ज्ञान की खोज में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. आरसी सोबती, मानद वैज्ञानिक, आईएनएसए, डॉ. मनोज कुमार, वाइस चांसलर, डीएवी यूनिवर्सिटी, डॉ. आईजेएस बंसल, डॉ. तरलोक सिंह, डॉ. एनएस दल्ला, डॉ. एचएस बुट्टर और डॉ. एस के अरोड़ा आदि ने किया।

डॉ. आरसी सोबती ने उद्घाटन भाषण दिया, जिसमें उन्होंने ‘जीवन के प्रमुख सिद्धांत: पंजाब की वैज्ञानिक विरासत’ पर विस्तार से चर्चा की। स्वागत भाषण में डीएवी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि पंजाबियों ने विश्व स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी जगह बनाई है। डॉ. मनोज ने कहा कि डीएवी यूनिवर्सिटी परिसर में वैज्ञानिक अनुसंधान और अकादमिक चर्चा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। पूर्व आईएएस केबीएस सिद्धू ने पंजाब की आर्थिक स्थिरता के संभावित समाधान के रूप में स्वदेशी स्टार्टअप का प्रस्ताव रखा। पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के डॉ. सुरिंदर एस राणा ने इडियोपैथिक
क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस पर चर्चा की। अन्य अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी अपने विचार साझा किए। मेम्फिस विश्वविद्यालय के डॉ. आशीष जोशी ने 21वीं सदी में सामाजिक असमानताओं को दूर करने के तरीकों की खोज की, जबकि मैनिटोबा विश्वविद्यालय, कनाडा के डॉ. संजीव ढींगरा ने कार्डियक स्टेम सेल थेरेपी में प्रगति पर चर्चा की। डॉ. जितेंद्र मोहन ने पंजाब के विकास पर मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण पेश किया। इस कार्यक्रम में 1100 से अधिक बुद्धिजीवियों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया, जो पंजाब की विरासत को संरक्षित करने और वैज्ञानिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हैं।

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