नई दिल्ली में हुई क्षेत्रीय समीक्षा बैठक ने उत्तरी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पशुपालन और डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने में हुई प्रगति का मूल्यांकन किया

पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया गया: टीकाकरण, चारा सहकारी समितियां, रोग नियंत्रण

दिल्ली/जालंधर (ब्यूरो) :- मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अधिन काम करने वाले पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) की सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय की अध्यक्षता में 12 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में उत्तरी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित उत्तरी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के पशुपालन एवं डेयरी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, निदेशक और योजना अधिकारी शामिल हुए और विभिन्न विभागीय कार्यक्रमों और योजनाओं की प्रगति पर विचार-विमर्श किया। बैठक में अपर सचिव वर्षा जोशी और सलाहकार (सांख्यिकी) जगत हजारिका सहित विभाग के प्रमुख अधिकारी भी उपस्थित थे। इस बैठक के दौरान, अलका उपाध्याय ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम), राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) के तहत उद्यमिता विकास, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) सहित कई प्रमुख योजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की समीक्षा की। बैठक के दौरान, केंद्र सरकार के प्रमुख एलएचडीसीपी (पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम) की प्रगति की भी समीक्षा की गई, जो खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) जैसी प्रमुख बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण पर केंद्रित है। इसके साथ ही, मवेशियों, भैंसों, भेड़ और बकरियों के लिए छमाही टीकाकरण की स्थिति पर भी चर्चा की गई। पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी) के तहत घटकों, मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) के परिचालन और “पशुकल्याण समितियों” के गठन सहित कई अन्य विषयों पर भी विचार-विमर्श हुआ। उपाध्याय ने राज्यों से टीकाकरण में तेजी लाने और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए रिपोर्टिंग बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने सीरो-निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित किया और उल्लेख किया कि खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी) मुक्त क्षेत्र हमारा फोकस होना चाहिए। डेयरी क्षेत्र में विकास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने और डेयरी उत्पादों में विविधता लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। सचिव महोदया ने राज्यों को एनएलएम के तहत ब्याज अनुदान के लिए धन खर्च करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने राज्यों से दावा-से-निपटान अनुपात की निगरानी करने और प्रगति की लगातार समीक्षा करने को कहा। चारा उत्पादन के मुद्दे पर, उन्होंने सभी राज्यों से चारा सहकारी समितियों का गठन करने का अनुरोध किया। संगठित डेयरी क्षेत्र का कवरेज बढ़ाना, विशेष रूप से बकरी, सुअर और मुर्गी पालन क्षेत्र में उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) को बढ़ावा देना तथा एनएलएम और एएचआईडीएफ के लाभों का फायदा उठाकर बुनियादी ढांचे और धन सृजन को अनुकूलित करना उत्तरी क्षेत्र में पशुधन क्षेत्र को मजबूत करने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण के रूप में रेखांकित किया गया। उपाध्याय ने जारी 21वीं पशुधन जनगणना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर भी बल दिया, जो पशुपालन क्षेत्र के लिए भविष्य की नीतियों और कार्यक्रमों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसके सफल कार्यान्वयन को हासिल करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने का आह्वान किया।

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