अमृतसर (प्रतीक) :- बी. बी. के डी. ए. वी. कॉलेज फॉर विमेन के प्रांगण में हिंदी विषय एवं श्रद्धेय गुरू विराजानन्द जी की पुण्यतिथि को समर्पित विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. पुष्पिन्दर वालिया तथा सुदर्शन कपूर, अध्यक्ष, स्थानीय प्रबंधकत्री- समिति द्वारा मुख्यातिथि पद्मश्री डॉ. हरमोहिन्द्र सिंह बेदी (चांसलर, केन्द्रीय विश्व विद्यालय धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश) को सैंपलिंग भेंट कर उनका स्वागत किया गया। प्राचार्या डॉक्टर वालिया ने अपने वक्तव्य में गुरु विरजानंद को स्मरण करते हुए कहा कि गुरु विरजानंद संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। जिन्होंने स्वामी दयानंद जैसी महान विभूति इस विश्व को दी। राष्ट्र भाषा हिंदी के साथ संस्कार एवं संस्कृति दोनों जुड़े है। हिंदी भाषा को समृद्ध साहित्य ने आज पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध रखा है हिंदी में प्रफुल्लित ग्रंथ जीवन का पथ प्रदर्शक है।
मुख्यातिथि ने अपने सम्बोधन में कहा कि हिंदी भाषा को स्मृति में लाने का अर्थ है कि गुरु विरजानंद, स्वामी दयानंद एवं आर्य समाज के समर्थकों के प्रति समर्थन। गुरु विरजानंद का नाम संस्कृत व्याकरण के विद्वानों में सर्वश्रेष्ठ है। स्वामी रामतीर्थ ने भी गुरु विरजानंद को शास्त्रों एवं वेदों का प्रकांड पंडित माना है। गुरु विरजानंद द्वारा स्वामी दयानंद को दीक्षा दी गई और गुरु दक्षिणा के रूप में उनसे ऋग्वेद को शिरोधार्य कर प्रचार–प्रसार करने के लिए कहा गया। स्वामी दयानंद अपने भाषण में सर्वप्रथम अपने गुरु विरजानंद को नमन कर ऋग्वेद के मत्रों का पाठ करके उसका हिंदी भाषा में भाष्य सुनाते थे। हिंदी मात्र जनसाधारण की भाषा ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की संपर्क भाषा है । आज पूरे विश्व में हिंदी के 12 विश्व सम्मेलन हो चुके हैं। सुदर्शन कपूर, अध्यक्ष, स्थानीय प्रबंधकत्री- समिति ने प्राचार्या डॉ. वालिया और स्टा^फ के सदस्यों को व्याख्यान के सफल आयोजन के लिए बधाई दी और हिंदी विषय चयन करने वाली छात्राओं को बधाई देते हुए कहा की हिंदी साहित्य अत्यंत विशाल है। साहित्य को पढ़ने लिखने से ज्ञान वृद्धि संभव है। डॉ. अनीता नरेंद्र द्वारा कुशल मंच संचालन किया गया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया एवंम प्रतिभागी छात्राओं को प्रमाण पत्र दिए गए। इस अवसर पर आर्य युवती सभा के सदस्यों सहित कालेज के टीचिंग एवं नॉन टीचिंग विभाग के सदस्य एवं छात्राएं उपस्थित रही।