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भारत के लिए रजत पदक की झड़ी

दिल्ली/जालंधर (ब्यूरो) :- तमिलनाडु के कांचीपुरम में 11 अप्रैल, 2002 को जन्मी थुलासीमाथी मुरुगेसन भारत की सबसे होनहार पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक हैं। पेरिस 2024 पैरालंपिक में थुलासीमाथी ने महिला बैडमिंटन एसयू5 स्पर्धा में रजत पदक जीतकर अपनी सफलताओं की श्रृंखला में एक और उपलब्धि जोड़ ली है। बैडमिंटन में इस शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा और अंततः 30 मिनट में 21-17, 21-10 के स्कोर के साथ चीन की यांग किउ ज़िया के साथ कड़े मुकाबले में उन्होंने रजत पदक जीता।


प्रारंभिक जीवन और चुनौतियां
थुलासीमाथी ने मात्र 5 साल की उम्र में एथलेटिक्स में कदम रखा । उन्होंने 7 साल की उम्र तक बैडमिंटन खेलना शुरु कर दिया था । हालांकि खेल जगत का उनका सफ़र आसान नहीं था । बाएं हाथ में दिव्यांगता के साथ जन्मी थुलासीमाथी को अपने अंगूठे और क्रोनिक उलनार न्यूरिटिस के कारण मांसपेशियों में क्षीणता और सीमित गतिशीलता का सामना करना पड़ा। एक बड़ी दुर्घटना के बाद उनके बाएं हाथ की गति और सीमित हो गई। इन चुनौतियों के बावजूद, थुलासीमाथी का खेल के प्रति जुनून कम नहीं हुआ, जिसका श्रेय उनके पिता डी. मुरुगेसन के अटूट सहयोग और मार्गदर्शन को जाता है। उन्होंने थुलासीमाथी को प्रशिक्षित करने, पैरास्पोर्ट्स से परिचित कराने और उनकी एथलेटिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण पल को चिह्नित करने के लिए पांच साल समर्पित किए।
उपलब्धियां और करियर की प्रमुख बातें
थुलासीमाथी की अथक मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कई पुरस्कार दिलाए हैं, जिससे भारत की शीर्ष पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक के रूप में उनकी पहचान मजबूत हुई है। उन्होंने विभिन्न प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व किया है । असाधारण प्रतिभा की धनी इस खिलाड़ी ने कड़ी मेहनत देश के लिए कईं पदक भी जीते हैं। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों में महिला एकल में स्वर्ण पदक, महिला युगल में रजत पदक और एशियाई पैरा गेम्स 2022 में महिला एकल में कांस्य पदक शामिल हैं। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप 2024 में महिला युगल में रजत पदक और 5वें फज्जा दुबई पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल 2023 में महिला युगल में स्वर्ण पदक भी हासिल किया। यही नहीं एक ओटावा में कनाडा पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल 2023 में युगल एसएल3-एसयू5 श्रेणी में मानसी जोशी के साथ भागीदारी की। उन्होंने इंडोनेशिया की मौजूदा पैरालंपिक चैंपियन और विश्व नंबर 1 टीम को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। यह जीत थुलासीमाथी के कौशल, समर्पण और उत्कृष्टता के अटूट संयोग का प्रमाण है।
सरकारी सहायता और प्रशिक्षण
थुलासीमाथी की इस खेल यात्रा में प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों का काफी योगदान रहा है, जिसमें उपकरण, प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के लिए वित्तीय सहायता शामिल है। उन्हें टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टीओपीएस) के तहत भत्ता भी मिलता है, जो उनके सपनों को पूरा करने में सहायक रहा है। हैदराबाद में पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में प्रशिक्षण लेते हुए, थुलासीमाथी ने देश के कुछ बेहतरीन प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में अपने कौशल को निखारना जारी रखा है। एसयू5 श्रेणी, जिसमें वह प्रतिस्पर्धा करती है, ऊपरी अंगों में दिव्यांगता वाले खिलाड़ियों के लिए है । लेकिन उन्होंने धैर्य और दृढ़ संकल्प से इस शारीरिक कमज़ोरी को सफलता का यह मुकाम हासिल करने के लिए अपनी ताकत बनाया।
आशा की किरण
थुलासीमाथी मुरुगेसन की कहानी खेल के प्रति तमाम बाधाओं के बावजूद के प्रति जूनून और प्रतिबद्धता का स्पष्ट उदहारण है। इस होनहार खिलाड़ी ने छोटी सी उम्र में अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश का मान बढ़ाया है। वह अपने खेल में उत्कृष्टता लाने के लिए लगातार प्रयास करती रहती हैं। थुलासीमाथी अपने अंतिम लक्ष्य पर केंद्रित रहती है:- वह लक्ष्य है भारत को गौरवान्वित करना!

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