डीएवी कॉलेज जालंधर ने डीबीटी स्टार कॉलेज योजना (भारत सरकार) के तहत स्कूलों में विज्ञान शिक्षा को मजबूत करने पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया

जालंधर (अरोड़ा) :- डीबीटी स्टार कॉलेज योजना (भारत सरकार) के तत्वावधान में डीएवी कॉलेज, जालंधर द्वारा आयोजित स्कूलों में विज्ञान शिक्षा को मजबूत करने पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम स्कूलों में विज्ञान शिक्षकों के शिक्षण कौशल को समृद्ध करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम था। कार्यक्रम की शुरुआत डीएवी गान से हुई, जिसके बाद दीप प्रज्वलन किया गया। प्राचार्य डॉ राजेश कुमार, वाइस प्रिंसिपल व विभागाध्यक्ष गणित डॉ एस के तुली, रजिस्ट्रार व विभागाध्यक्ष भौतिकी डॉ कुंवर राजीव, डीबीटी समन्वयक व विभागाध्यक्ष जूलॉजी प्रो पुनीत पुरी, विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान प्रो शीतल अग्रवाल ने विषय विशेषज्ञ डॉ जगबीर सिंह, प्रोफेसर, जूलॉजी और पर्यावरण विज्ञान विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला; डॉ जसविंदर सिंह, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता; स. किरणदीप सिंह टिवाना, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और डॉ. अनुराधा सेखरी, एसोसिएट प्रोफेसर, विकास और संचार संस्थान, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ का पुष्पांजलि से स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत डीबीटी समन्वयक प्रो. पुनीत पुरी ने डीबीटी स्टार कॉलेज योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कार्यक्रम के विवरण के साथ की। प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने विषय विशेषज्ञ का स्वागत किया और कार्यक्रम की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। तकनीकी सत्र में प्रो. पुनीत पुरी ने औपचारिक रूप से वक्ता प्रो. (डॉ) जगबीर सिंह का दर्शकों से परिचय कराया। डॉ. जगबीर सिंह ने “स्कूल शिक्षा” पर एक प्रभावशाली व्याख्यान दिया, जिसमें छात्रों को नए पाठ्यक्रमों, शिक्षक प्रशिक्षण, व्यावहारिक प्रयोगों और डिजिटल पहलों के प्रति संवेदनशील बनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आज के शैक्षिक परिदृश्य में शिक्षकों और अभिभावकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. दीपक वधावन, डीबीटी समन्वयक, जूलॉजी विभाग ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा और सत्र का समापन किया। दूसरे तकनीकी सत्र में डॉ. कुँवर राजीव ने वक्ता डॉ. जसविंदर सिंह का श्रोताओं से औपचारिक परिचय कराया। डॉ. जसविंदर सिंह ने मौलिक वैज्ञानिक अवधारणाओं के व्यावहारिक प्रदर्शनों से श्रोताओं को जोड़ा। उनके संवादात्मक सत्र में मानव शरीर रचना सीखने की तकनीकें, विद्युत आवेशों पर प्रयोग तथा वायु और निर्वात के गुण शामिल थे। उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण ने जटिल विचारों को सुलभ बनाया, जिससे उपस्थित लोगों पर अमिट छाप छोड़ी। भौतिकी विभाग के डीबीटी समन्वयक डॉ. शरणजीत संधू ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा और सत्र का समापन किया। तीसरे तकनीकी सत्र में डॉ. तुली ने वक्ता स. किरणदीप सिंह टिवाणा का श्रोताओं से औपचारिक परिचय कराया। स. टिवाणा का बुनियादी गणित पर व्याख्यान भी उतना ही आकर्षक था। उन्होंने विभिन्न व्यावहारिक शिक्षण विधियों और दैनिक जीवन में गणित के व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर चर्चा की। उन्होंने 2डी और 3डी आकृतियों में अंतर, कैलेंडर के प्रकार और महत्व और शिक्षकों के लिए रचनात्मक होने और नई तकनीकों से अपडेट होने की आवश्यकता जैसे विभिन्न विषयों को कवर किया। गणित विभाग के डीबीटी समन्वयक डॉ. आशु बहल ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा और सत्र का समापन किया। चौथे तकनीकी सत्र में प्रो. शीतल अग्रवाल ने वक्ता डॉ. अनुराधा सेखड़ी का परिचय कराया। डॉ. अनुराधा सेखडी ने “स्कूली शिक्षकों के लिए एआई-संचालित सामग्री निर्माण” पर व्याख्यान में शिक्षा में एआई की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिलेखन के लिए विभिन्न एआई टूल और इंटरैक्टिव पाठों के लिए नियरपॉड पेश किए। डॉ. सेखडी ने शिक्षण दक्षता और छात्र जुड़ाव बढ़ाने, कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने और व्यक्तिगत प्रतिक्रिया प्रदान करने में एआई की भूमिका पर जोर दिया। रसायन विज्ञान विभाग के डीबीटी समन्वयक प्रो. तनु महाजन ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा और सत्र का समापन किया। कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों को उनके योगदान को मान्यता देते हुए प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न वितरित करने के साथ एक समापन समारोह के साथ हुआ।

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