जालंधर (मक्कड़) :- पंजाब इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसिज (पिम्स) में विश्व हेपेटाइटस दिवस मनाया गया। इस अवसर पर पिम्स के डायरेक्टर प्रिंसीपल डा. राजीव अरोड़ा, डीन एकेडमिक डा. एच के चीमा विशेष रूप से शामिल हुए। इस अवसर पर अस्पताल के डायरेक्टर श्री गुरकीरत सिंह ने अपने संदेश में बताया कि ऐसे कार्यक्रमों से लोगों के साथ एमबीबीएस के बच्चों में जागरुकता बढ़ती है। उम्मीद करते हैं कि आगे भी इसी तरह जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन जारी रहेगा। उन्होंने अगर इस जागरुकता कार्यक्रम के द्वारा किसी एक मरीज की भी जान बचा ले तों इससे बढ़ा कोई पुण्य का कार्य नहीं होगा।डायरेक्टर प्रिंसीपल डा. राजीव अरोड़ा ने कहा कि हेपेटाइटिस दिवस का इस साल का थीम है इट इस टाइस टू एक्ट (अब कार्य करने का समय) है। उन्होंने कहा कि लीवर को साफ और मजबूत बनाकर हेपेटाइटिस से बचने के लिए फल-सब्जियों का सेवन ब़ढ़ाएं, इसके अलावा तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं, मसालेदार भोजन से बचे औऱ साफ पानी का प्रयोग करें। मेडिसन विभाग के प्रमुख डा .एन एस नेकी ने कहा हेपेटाइटिस खासकर पांच प्रकार का होता है- ए,बी,सी डी और ई। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस बी और सी विश्व का सबसे अधिक सामान्य लीवर का संक्रमण है।
हेपेटाईटिस बी लीवर पर हमला कर उसे क्षति पहुंचाता है। अगर हैपेटाइटिस बी की वेक्सीन समय पर ली जाए तो उससे बचा जा सकता है। शुरूआत के छह महीने में हेपेटाइटिस बी इंफेक्शन को एक्टूस माना जाता है.। सही इलाज से ज्यादातर लोग इन छह महीनो में ठीक हो जाते हैं। यह वायरस रक्त से रक्त का संपर्क होने पर फैलता है। यह सुई के एक दूसरे के प्रयोग होने या यौन संपर्क के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने कहा कि वायरस के बिना ओर भी हेपेटाइटिस होने के अन्य कारण है जेसे कि शराब का सेवन, दवाइयां हैं। उन्होंने आग कहा कि मरीज को समय पर डाक्टर से अपना इलाज करवाना चाहिए, इलाज सरहेज जरूरी है। ब्लड टेस्ट से इसकी पहचान की जा सकती है। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में इसका इलाज मुफ्त होता है। मेडिसन विभाग के डा.कुसुम बाली, डा. सुनील शर्मा, गायनी विभाग के प्रमुख औऱ डीन एकेडमिक डा. एच के चीमा, मनोरोग विभाग के डा. दिपाली गुल, माइक्रोबायोलाजी विभाग के डा. शिवानी, नर्सिंग सुपरिटेंडेंट राजिंदर कौर नंदा के अलावा अन्य विभाग के डाक्टर औऱ नर्सिंग स्टाफ भी मौजूद था।