जालंधर (मक्कड़) :- सर्व सांझ रूहानी मिशन के संस्थापक पूज्य संत जीवन बीर जी महाराज की पत्नी गुरु रजनी मां जी ने गुरु पूजा दिवस पर हो रहे सत्संग में अपने प्रवचनों में कहा कि यदि इंसान अपने मां का चैन चाहता है तो केवल प्रभु की भक्ति में छुपा है। जब तक इंसान दुनिया में अनासक्त होकर उसके रंग में नहीं रंग जाता तब तक इसके मन को दुनिया भी पदार्थ की भटकना लगी रहती है। ख्वाहिशों की भटकन कड़ी दर कड़ी बढ़ती जाती है। इसको विराम देने के लिए इसको प्रभु के सिमरन की लगाम का इस्तेमाल करना पड़ता है। जिस प्रकार सड़क पर चलने के लिए भी नियम बनाए गए हैं, इसी तरह जिंदगी में चलने के लिए भी यही नियम काम आते हैं। यह नियम है ठहरो, देखो और चलो सबसे पहले नियम जो है वह ठहरने का है बिना भक्ति भाव के मन कभी ठहरता नहीं। उसके बाद देखना है यानी विचार करना है क्या हमारे लिए अच्छा है क्या हमारे लिए बुरा है। विचार करने के बाद जो हमारे लिए अच्छा है उसे तरफ चलना है। यदि विचार के उपरांत हम चलेंगे तो हम अपनी मंजिल पर सुरक्षित और सुविधापूर्वक पहुंच जाएंगे और हमारा वर्तमान सफर भी आनंदित रहेगा यानी इस जिंदगी में भी आनंद भविष्य में आने वाली जिंदगी में भी आनंद सत्संग में बैठकर अपने मन को ठहरने की स्थिति रखकर और आगे चलने का विचार करते हैं। इस अवसर पर सुभाष चंद्र, साहिल अरोड़ा, परवीन कुमार, मोहित अरोड़ा, तपस्वी मल्होत्रा विनोद कालड़ा, तरुण कुमार आशा रानी, कंचन रानी, रितु मल्होत्रा, राजरानी, कांता गड़ा, उर्मिल ज्योति, सुनैना मक्कड़ तथा नवजोत मक्कड़ सहित कई भजन मौजूद थे।
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