Thursday , 21 November 2024

पिम्स में दयावंती फाउंडेशन के सहयोग से तीन बेडों का थेलेसिमीया वार्ड का उद्घाटन किया

जालंधर (मक्कड़) :- पंजाब इस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसिज (पिम्स) आए दिन नए आयाम छू रहा है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए विश्व खूनदान दिवस पर पिम्स में दयावंती फाउंडेशन के सहयोग से तीन बेडों का थेलेसिमीया वार्ड का उद्घाटन किया गया। वार्ड का उद्घाटन फाउंडेशन के चेयरमैन सतीश बत्रा, वाइस चेयरमैंन अर्चना बत्रा, पिम्स के मेडिकल डायरेक्टर डा. कुलबीर कौर, एग्जेक्टिव डायरेक्टर डा. कंवलजीत सिहं, अस्पताल के डायरेक्टर गुरकीरत सिंह, डायरेक्टर प्रिंसीपल डा. राजीव अरोड़ा, ने किया। इसी के साथ पिम्स में खूनदान कैंप भी लगाया गया। पिम्स के इसके साथ ही खूनदान कैंप भी लगाया गया। कैंप में पिम्स के एग्जेक्टिव डायरेक्टर डा. कंवलजीत सिहं औऱ अस्पताल के डायरेक्टर श्री गुरकीरत सिंह, विद्यार्थियों, डाक्टरोंऔर अन्य स्टाफ ने भी खूनदान किया। इस अवसर पर डा. कुलबीर कौर ने कहा कि काफी देर से हम विचार कर रहे थे कि पिम्स में एक थैलेसीमिया युनिट को स्थापित किया जाए। लेकिन दयावंती फाउंडेशन के कारण पिम्स का सपना साकार हो पाया। पिम्स में अब तीन बेडों का थैलेसीमिया वार्ड खुल गया है। मरीजों को अब कहीं ओर जाने की जरूर नहीं। बिना कोई खर्चा किये पिम्स में थैलेसीमिया के मरीज अपना इलाज करवा सकेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों के लिए खून की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए वार्ड खोलने के लिए इस दिन को चुना गया है। पिम्स के एग्जेक्टिव डायरेक्टर डा. कंवलजीत सिंह ने दयावंती फाउंडेशन की टीम खासकर बत्रा परिवार जोकि इस फाउंडेशन को चला रहे हैं का धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पिम्स और दयावंती फाउंडेशन की एसोसिएशन काफी आगे तक जाएगी। उन्होने कहा कि वार्ड के खुलने से पिम्स के विद्यार्थी बहुत उत्साहित है। उन्होंने कहा कि खूनदान से एक साथ तीन जिंदगियों को बचाया जा सकता है। इसलिए पिम्स परिवार के साथ-साथ उन्होंने लोगो से अपील की कि ज्यादा से ज्यादा खूनदान करो। पिम्स के डायरेक्टर प्रिंसीपल डा राजीव अरोड़ा ने कहा कि इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि मशहूर इम्यूनोलाजिस्ट कार्ल लेंडस्टीनर का जन्म हुआ था। इन्होंने आज के ही दिन ब्लड ग्रुपों की खोज की थी। उन्होंने कहा कि लोगों को डर है कि खूनदान करने से खून की कमी हो जाती है लेकिन ऐसा नहीं है खूनदान करने के बाद तीन महीने के अंदर खून बन जाता है। खूनदान को महा दान कहा गया है। पिम्स समय-समय पर विभिन्न स्थानों में जाकर खूनदान कैंप लगाए जा रहे है ताकि थैलेसीमिया से जूझ रहे मरीजों के लिए खून की पूर्ति हो सके।

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