मेरी मां ने भी प्रियंका गांधी की मां की तरह अपने मंगलसूत्र की कुर्बानी दी: विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी

गद्दारी के लिए टिकट, वफादारी के लिए निलंबन: विधायक चौधरी

चन्नी ने 2022 विधानसभा चुनाव में कई दलित नेताओं को टिकट देने से किया इनकार: विधायक चौधरी

जालंधर (अरोड़ा) :- कांग्रेस पार्टी द्वारा ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए निलंबित किए जाने के बाद, फिल्लौर विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उनका परिवार दशकों से पार्टी के प्रति वफादारी का पर्याय रहा है और उनकी मां करमजीत कौर चौधरी ने भी कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरह अपने मंगलसूत्र का बलिदान दिया, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनके बलिदान का सम्मान करने के बजाय उन्हें अपमानित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा था कि उनकी मां सोनिया गांधी का मंगलसूत्र देश के लिए क़ुर्बान हुआ है। विधायक चौधरी ने जोर देकर कहा कि देश सोनिया गांधी के बलिदान का सम्मान करता है लेकिन कांग्रेस नेतृत्व को नेहरू-गांधी परिवार के अलावा अन्य नेताओं के बलिदान का भी सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा, ”मेरे पिता संतोख सिंह चौधरी जी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी जी के साथ चलते हुए अपनी जान दे दी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने मेरी मां के बलिदान पर सहानुभूति जताने के बजाय उनका अपमान किया और कहा कि चौधरी साहब की मृत्यु वृद्धावस्था में हुई। कांग्रेस पार्टी कई नेताओं के खून से बनी हुई है जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि एक बलिदान को महत्व दिया जाए और दूसरों को नजरअंदाज कर दिया जाए।” उन्होंने कहा कि पार्टी के खिलाफ काम करने और चुनाव लड़ने वालों को टिकट देकर पुरस्कृत किया जाता है, जबकि दशकों से पार्टी के वफादार सिपाहियों को निलंबित कर दिया जाता है। पार्टी पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए फिल्लौर विधायक ने पंजाब में टिकट वितरण में अनियमितताओं की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि राज्य में घोषित 8 लोकसभा टिकटों में सांसद गुरजीत सिंह औजला और डा. अमर सिंह के अलावा बाकी 6 टिकट ऐसे लोगों को गए हैं जो पहले कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं और अगली सूची में 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों को हराने वाले नेता भी शामिल होंगे। दलित नेताओं के साथ कांग्रेस के व्यवहार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि चरणजीत सिंह चन्नी को पार्टी के दलित चेहरे के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 34 में से केवल 5  आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की और कई बड़े दलित नेताओं को टिकट से वंचित किया गया। विधायक चौधरी ने खास तौर पर महेंद्र सिंह केपी, मलकीत सिंह दाखा, अजय सिंह भट्टी, नत्थू राम, सत्कार कौर, रणजीत कौर भट्टी और तरसेम सिंह डीसी जैसे दलित नेताओं का जिक्र किया, जिन्हें टिकट नहीं दिया गया। इसके अलावा विधायक चौधरी ने चन्नी पर मुख्यमंत्री रहते हुए निजी शिक्षण संस्थानों के साथ मिलीभगत करने और अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति घोटाले में कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुद्दे को सुलझाने और आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के बजाय, चन्नी ने आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाकर मामले को रफा-दफा कर दिया और दलित छात्रों को धोखा दिया, जो अपनी उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति पर निर्भर थे।

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