(Date : 28/March/2424)

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एलपीयू में दो दिवसीय नैशनल एग्रीकल्चर कांफ्रैंस का आयोजन






कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्राप्तियों के लिए भी नोबल प्राइज दिया जाना चाहिए’-एलपीयू चांसलर अशोक मित्तल

देश भर से 106 प्रखयात साईंटिस्टस व रीसर्चर्ज ; 384 रिसर्च स्कॉलर्स तथा कई सौ कृषि क्षेत्र के विद्यार्थियों ने लिया भाग

कांफ्रैंस का विषय था ‘सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, फूड एंड न्यूट्रीशनल स्कियोरिटी

जालन्धर(अजय छाबड़ा):-लवली प्रोफैशनल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर ने दो दिवसीय नैशनल कांफ्रैंस ‘सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, फूड एंड न्यूट्रीशनल स्कियोरिटी (एसएएफएनएस-2018)’ का आयोजन किया जिसमें देश भर से 106 प्रखयात साईंटिस्टस व रीसर्चर्ज; 384 रिसर्च स्कॉलर्स तथा कई सौ कृषि क्षेत्र के विद्यार्थियों ने भाग लिया। कांफ्रैंस के दौरान इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) के पूर्व डिप्टी डायरैकटर जनरल डॉ जे एस संधू; डायरैकटर आईसीएआर (सैंट्रल इंस्टीटयूट ऑफ पोस्ट हारवैस्ट इंजीनियरिंग एंड टैकनोलॉजी) के डॉ आर गुप्ता तथा अकैडमिया व इंडस्ट्री से कई अन्य दिगज्जो ने उपस्थिती को संबोधित किया। क्रॉप प्रॉडकशन एवं प्रोसैसिंग के प्रति तकनीकों को बढ़ाने जैसे 20 से अधिक महत्वपूर्ण उप-विषयों को छूते हुए वकताओं ने देश भर के कृषि वैज्ञानिकों, फूड टैकनोलॉजिस्टस तथा न्यूट्रीशनिस्टस को प्रेरित किया।

बहुत से अवॉर्डों से सममानित तथा प्लस ब्रीडर साईंटिस्ट के तौर पर जाने जाते डॉ जे एस संधू ने सभी को फसलों की विभिन्नता के बारे में बताते हुए कहा कि कृषि में स्थिरता के लिए यह अति महत्वपूर्ण है। वे महसूस करते हैं कि कृषि के क्षेत्र में इस तरह के बदलाव समय की आवश्यकता है कि पारंपरिक और कम आय अर्जित करने वाली फसलों की बजाए हाई वैल्यू फसलों की ओर ध्यान दें। प्रधानमंत्री मोदी का उल्लेख करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि एक सफल किसान के लिए पशु, फसलों और वन का विकास करने जैसी तीनों बातों की अति आवश्यकता है। उन्होंने खराब पड़ी धरती से चारा उपजाने, मूंग की फसल और पैडी की जगह मककी की फसलों के बारे में भी कहा ताकि किसानों की आय बढ़ सके। एलपीयू में रिसर्च वातावरण से प्रभावित होते हुए डॉ संधू ने एलपीयू के सभागार की नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन से तुलना की और विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे सखत मेहनत करना जारी रखें। भारत देश को खाद्य पदार्थों की कमी से उभरते हुए खाद्य पदार्थों में बहुतायत वाले देश में संबोधित करते हुए उन्होंने सभी से आग्रह किया कि अब आगे न्यूट्रीशनल स्कियोरिटी की आवश्यकता है।

इसी तरह पोस्ट प्रॉडकशन प्रोसैसिंग एंड वैल्यू एडीशन ऑफ फूड क्रॉपस: करंट ट्रैंडस एंड फ्फयुचर थ्रस्टस विषय पर संबोधित करते हुए डायरैकटर डॉ गुप्ता ने सभी को सूचित किया कि पोस्ट हारवैस्ट के बाद कया नुकसान होते हैं और इस संदर्भ में वैल्यू प्रदान करने वाली तकनीकों को अपनाने के लिए जोर दिया। उन्होंने सभी को बताया कि खाद्य पदार्थों की प्रोसैसिंग के दौरान गुणवत्ता को बनाए रखना चाहिए। इसलिए देश व किसानों की भलाई के लिए ऐसी कमियों की दूरी के लिए इंजीनियरिंग का सदपयोग करना चाहिए। एलपीयू के इन्फ्रास्ट्रकचर की प्रशंसा करते हुए डॉ गुप्ता ने कहा-‘एलपीयू में बहुत क्षमता है और अपने विभिन्न इंजीनियरिंग विभागों के द्वारा वह इस प्रति भरपूर कार्य कर सकता है। हम सब एक साथ काम कर सकते हैं और नए प्रोग्रामों की संरचना के साथ खाद्य पदार्थों की कवालिटी सुनिश्चित कर सकते हैं। हम जानते हैं कि एलपीयू में अनुभवी साईंटिस्टस और टैकनीकल स्टाफ मौजूद है जिन्हें अपने-अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है।


परिसर में मौजूद असंखय स्थापित व उभरते वैज्ञानिकों का जमावड़ा देख अति प्रसन्न एलपीयू के चांसलर श्री अशोक मित्तल ने सांझा किया-‘एग्रीकल्चर हम सब के लिए अति महत्वपूर्ण है कयोंकि हम भोजन के बिना जीवित नहीं रह सकते। मैं आगामी पीढ़ी से संबंधित विद्याािर्थयों को कहना चाहता हूं कि वे अपनी जिंमेदारी भी समझें और अपनी अप्रोच को प्रैकटीकल रखें जिससे कि पानी की कमी, फसलों की विभिन्नता आदि के लिए अच्छे-अच्छे हल सामने आएं। उन्होंने यह भी बताया कि एलपीयू के एग्रीकल्चर विभाग द्वारा बहुत सा काम किया गया है और यह देश की पहली यूनिवर्सिटी है जिसने आईसीएआर की मान्यता प्राप्त करने के लिए अप्लाई किया है। उन्होंने सभागार में मौजूद सभी से आग्रह किया कि वे मिलकर आवाज उठाएं कि कृषि क्षेत्र में अनूठी प्राप्तियों के लिए भी नोबल पुरस्कार दिया जाना चाहिए।

इस अवसर पर एलपीयू की प्रो चांसलर रश्मि मित्तल, वाईस चांसलर प्रो डॉ रमेश कंवर, डीजी एचआर सिंगला, सीनियर डीन डॉ लवी राज गुप्ता, डीन रमेश सदाव्रती, डॉ एन कुमार, डॉ राजबाला ग्रेवाल, डॉ प्रभात कुमार, डॉ बीवीसी महाजन, डॉ जितेंद्र कुमार, सिजैंटा मल्टीनैशनल के मलविंदर मल्ली, समर एग्रो के सीईओ उदयन आर्या तथा कई अन्य महानुभाव विशेष तौर पर उपस्थित थे।

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