केएमवी में डा सुरेश सेठ की व्यंग्य कृति नश्तर की मुस्कान:एक विचार चर्चा पर खुली संगोष्ठी का आयोजन
जालंधर:- भारत की विरासत संस्था कन्या महाविद्यालय, आटोनॉमस कालेज, जालंधर के पी.जी डिपार्टमैंट आफ हिंदी की ओर से शिरोमणी साहित्यकार डा. सुरेश सेठ की प्रकाशित व्यंग्य कृति नश्तर की मुस्कान- एक विचार-चर्चा विषय के अंतर्गत एक खुली संगोष्ठी का आयोजन करवाया गया जिसमें प्रमुख वक्ता के रुप में डा. सुरेश सेठ के अतिरिक्त विशिष्ट वक्ता के तौर पर प्रो. डा. सुधा जितेंद्र तथा अजीत समाचार के मुख्य संपादक सिमर सुदोष ने शिरकत की। संगोष्ठी की अध्यक्षता चंद्रमोहन (प्रधान, आर्य शिक्षा, मंडल) ने की। कृति की राह पर कृतिकार के माध्यम से विद्यार्थियों को रु-ब-रु करवाते हुए उनमें नव्य सृजनात्मक विचार बिंदुओं को अंकुरित करना ही कन्या महाविद्यालय की परंपरा रही है।
विद्यालय प्राचार्या प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने संगोष्ठी में आए सभी विद्वजनों का पुष्प-अभिनंदन किया। इसके बाद डा. सेठ की पुस्तक का विमोचन हुआ और डा. सेठ ने अपनी इस पुस्तक के कथ्य का परिचय देते हुए कहा कि समाज की ज्वंलत समस्याओं और उसमें दहकते, जलते, तिलमिलाते आम आदमी की परेशानियों को मुखर अभिव्यक्ति देना ही मेरी इस व्यंग्य-कृति का ध्येय है। विभागाध्यक्ष डा. विनोद कालरा ने अपने दौर की नब्ज पहचानती नश्तर की मुस्कान विषय पर अपना आलेख प्रस्तुत किया। प्रो. डा. सुधा जितेंद्र ने इस संदर्भ में अपने विचार प्रस्तु करते हुए इस व्यंग्य-संग्रह को एक परीजम की संज्ञा दी जिसमें अनेक स्तरीय सामाजिक समस्याओं की अनेकानेक अर्थक छायाएं अपने पाठकों को आचंभित करती है और लेखन की दक्षता पर मुग्ध होती है। सिमर सुदोष जी ने भी पके हुए सामाजिक घावों को ठीक करने हेतु ऐसे नश्तरों को चलाना अनिवार्य बनाया। अंत में अपने अध्यक्षीय व्याख्यान में चंद्रमोहन ने कहा कि अगर देश की एकता और अखंडता को संभालना है, साहित्य और साहित्कार की जिम्मेवारी और बढ़ जाती है।