(Date : 24/April/2424)

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एपीजे स्कूल, टांडा रोड, जालंधर, किकबॉक्सिंग चैंपियनशिप में चमका | दोआबा कालेज में क्लीनिकल प्रैक्टिसिज पर वर्कशॉप आयोजित | डीएवी कॉलेज में अंतरमहाविद्यालीय भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया | के.एम.वी. की छात्राओं ने हिंदी में रोज़गार की संभावनाओं के बारे में जाना | पी.सी.एम.एस.डी. कॉलेज फॉर वुमेन, जालंधर में ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर सेमिनार का आयोजन |

स्वामी दयानंद सरस्वती जी की 194 वीं जयंती डी ए वी कॉलेज में धूमधाम से मनाई गई






" भारतीय युवा को उनकी असली ताकत से अवगत स्वामी जी ने करवाया और उनके पदचिन्हों पर चलते हुए आर्य समाज विश्व के कोने-कोने में उनकी नीतियों का विस्तार करने में जुटा हुआ  है।  युवा उच्च लक्ष्य निर्धारित कर स्वामी दयानंद सरस्वती के सपनों का भारत बनायें " - प्री डॉ एस के अरोड़ा

" महिलाएँ एक बार दयानंद सरस्वती का सत्यार्थ प्रकाश को अवश्य पढ़ें, ताकि महिलाओं को पता चल सके कि स्वामी दयानंद जी महिलाओं के विकास के कितने प्रबल पक्षधर थे, इससे आपका आध्यात्मिक व आंतरिक विकास होगा और आप श्रेष्ठ जीवन जीने के हकदार बनोगे"- जस्टिस एन के सूद




जालंधर (साहिल) :-जीवन में कामयाब होना है तो तीन बातों को अमल में लाओ- सत्य की साधना, परोपकार और सकारात्मक सोच। महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती पर यह बात डी ए वी कॉलेज के प्रिन्सिपल डॉ. एस के अरोड़ा ने कॉलेज प्रांगण में स्टूडेंट्स को कही। ठीक सुबह 9 बजे पूरा कॉलेज अपने ऑडिटॉरीयम में इकट्ठा हुआ, वैदिक मंत्रों और गायत्री मंत्र के साथ पूरा कॉलेज दयानंदमय हो उठा। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी की 194 वीं जयंती पर पूरे कॉलेज ने स्वामी जी की प्रतिमा को पुष्प माला अर्पित और दयानंद सरस्वती के चित्र के समक्ष पुष्प भेंट कर उन्हें याद किया। इस मौक़े पर मुख्य अतिथि भारत के चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा, स्थानीय सलाहकार समिति के चेयरमेन जस्टिस एन के सूद, सेठ कुंदन लाल अग्रवाल और अरविंद गई ने सबसे पहले पुष्प माला अर्पित करते हुए स्वामी जी की गाथा गई , आर्य समाज के नियम, प्रार्थना, दयानंद के प्रवचन के उपरांत उपस्थित सभी को गायत्री मंत्र का अर्थ भी बताया। इसके पश्चात प्रिन्सिपल डॉ एस के अरोड़ा सहित सभी शिक्षकों और छात्र- छात्राओं जी स्वामी जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए और स्वामी जी को याद किया। 
मुख्य अतिथि सुनील अरोड़ा  ने कहा कि स्वामी दयानन्द बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने अपने चरित्र द्वारा पृथ्वी के सभी व्यक्तियों को शिक्षित किया तथा सत्यार्थ प्रकाश एवं अनेक पुस्तकों को जीवन का मर्म समझाया। ईश्वर की आस्था के साथ अहिंसा की बात करने वाले दयानंद जी ने सभी प्राणियों से प्रेम का संदेश दिया।  स्वामी जी ने समाज में आई कुरीतियों का निवारण किया।  स्वामी जी ने भारतवासियों को शिक्षा द्वारा जागृत किया। आगे श्री अरोड़ा ने कहा, स्वामी दयानंद सरस्वती जी को सभी वेदों का ज्ञान था और यह बहुत ही कर्मठ और जुझारू थे स्वामीजी ने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास इन चार स्तंभो को अपना जीवन बनाया।

महर्षि दयानंद के जीवन चरित्र और उनके आदर्शों पर प्रकाश डालते हुए प्रिन्सिपल डॉ एस के अरोड़ा ने कहा, हिन्दू धर्म में वैदिक परंपरा को बढ़ावा देने के लिए स्वामी जी का प्रमुख स्थान था क्योंकि उनको संस्कृत भाषा और विद्या का अच्छा ज्ञान था उनकी वजह से सन 1876 में “भारतीयों का भारत” नाम दिया गया भारत के राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन ने उन्हें “आधुनिक भारत के निर्माता” कहा। स्वामी जी एक स्वन्त्रता संग्रामी भी थे स्वन्त्रता संग्राम में उनका भी योगदान है क्योंकि वह समाज सुधारक के साथ-साथ देशभक्त भी थे विश्व में हिन्दू धर्म की अलग पहचान बनाने के लिए उन्होंने वैदिक परम्पराओ को पुनर्स्थापित किया उन्होंने कई अन्य स्वन्त्रता संग्रामियों के साथ मिलकर स्वन्त्रता की लड़ाई में अपना अमूल्य योगदान दिया | आगे डॉ अरोड़ा ने कहा, अंध विश्वासों व विरोधों को समाप्त कर स्वामी जी ने स्त्री शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने  वर्ण व्यवस्था, अंधविश्वास, रूढ़ीवादी परम्परा, लोभ, मोह आदि का त्याग करने पर लोगों को जागृत किया । अंत में सम्पूर्ण स्टाफ सहित सभी स्टूडेंट्स को प्रशाद भी वितरित किया गया।

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