सरकार की अनदेखी के कारण बंद हो सकते है पंजाब के कई उन-एडिड कॉलेज- अश्वनी सेखड़ी
उन-एडिड कॉलेजों को बंद होने से बचाने के लिए सरकार तुरंत जारी करे पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम की राशि
जालंधर:- कन्फेडरशन ऑफ़ पंजाब अनएडेड मैनेजमेंट एसोसिएशन की प्रेस कॉन्फ्रेंस चेयरमैन अश्वनी सेखड़ी और प्रेजिडेंट अनिल चोपड़ा की दिशा निर्देशों पर जालंधर में की गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंजाब भर से सैंकड़े उन-एडिड संस्थानों की मैनेजमेंट कमेटियों के मेंबर्स और शिक्षा क्षेत्र से जुडी विभिन्न राज्यों के एसोसिएशन के प्रतिनिधियों विपिन शर्मा, सुभाष चन्दर, सुमान्शु गुप्ता, पूजा ओहरी, सुखजिंदर सिंह, चेरी सिंह, नितेश कुमार गर्ग, अनूप बेर्री, राजिंदर सिंह धनोया, डॉ.परवीन बेर्री, दीपक मित्तल, संजीव चोपड़ा, गुरप्रीत सिंह चीता, मंजीत सिंह, गुरदेव सिंह, राकेश बजाज आदि उपस्थित हुए। श्री सेखड़ी ने बताया कि मीटिंग में सरकार द्वारा पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप एस.सी के लिए बकिया राशि काफी लंबे समय से ना दिए जाने के कारण उन-एडिड संस्थाओं की मैनेजमेंट कमेटियों में भारी रोष पाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं को बनाने के लिए पंजाब के लोगों ने हज़ारों करोड़ों रुपए लगाया जा रहा है। उनएडिड संस्थाओं की मैनेजमेंट कमेटियों ने पंजाब में निवेश करके संस्कार शिक्षा प्रदान करने के मुख्य फर्ज को पूरा करने में पूरा योगदान डाला है। इन मैनेजमेंट कमेटियों ने यह शिक्षा संसथान उस समय बनाये जब पंजाब के युवा बहुत बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में शिक्षा प्राप्त करने जा रहे थे। इन शिक्षा संस्थाओं ने उन सूचित जाती के छात्रों को शिक्षित करने के लिए सरकार का भरपूर साथ दिया और फीसों के बिना ही लाखों उन सूचित जाती के छात्रों को टेक्नीकी और अकादमिक शिक्षा प्रदान की पर समय की सरकार ने इन संस्थाओं के साथ अन्याय करते हुए वर्ष 2015 से अनसूचित जाती के छात्रों की हज़ारों करोड़ की राशि को अभी तक लटकाया हुआ है। समय समय पर जाँच के नाम पर इन संस्थाओं को परेशान किया गया और केंद्र सरकार से 100% सहायता प्राप्त इस स्कीम के पैसों को समय पर प्राप्त करके भी इन संस्थाओं को नहीं जारी किये गए। पंजाब के सभी शिक्षा संस्थानों की अब तक लगभग 1700 करोड़ की राशि बकाया है। पंजाब में 1650 उन-एडिड शिक्षा संसथान है
(स्कूल+कॉलेज) जिसमें लगभग कॉलेजों में ही पढ़ने वाले एस.सी छात्रों की संख्या 3 लाख 40 हज़ार है। यह संसथान मानयता फीस दाखिले, एग्जामिनेशन फीस आदि के रूप में 1000 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में भिन्न-भिन्न यूनिवर्सिटीज, बोर्ड के जरिए जमा करवा रहे है जिससे सरकार को आमदन हो रही है। उन्होंने मौजूदा सरकार को कहा कि जैसे अखबारोयों में बयान देकर यह प्रभाव बनाया गया है कि इस स्कीम द्वारा कॉलेजों ने कोई घोटाला किया है जा अनसूचित जाती के छात्रों के अधिकारीयों पर कोई वार किया है जो कि असलियत से कोसो दूर है। कुछ छात्रों ने एक वर्ष में एक से ज्यादा स्थानों पर स्कालरशिप अप्लाई कर दिया था। संस्थओं द्वारा समय समय पर पडतालें कर अपने लेवल पर इसे छात्रों के बड़ी संख्या में क्लेम रद करवा दिए थे। पंजाब सरकार भारत सरकार की नीति की 1 मद की गलत विखेण करके वर्ष 2011 से इस स्कीम का ऑडिट कर रही है जिसके चलते हर एक उस छात्र का 2 3 वर्षों का क्लैम रद्द किया जा रहा है जिसने अपना कोर्स पूरा नहीं किया, जबकि संस्थाओं ने उन छात्रों को पढ़ाया है। इसके साथ ही कुछ कोर्सों की फीस सरकार द्वारा उन-एडिड संस्थाओं के लिए तह फीस से घटाकर सरकारी कॉलेजों के बराबर कर के भी उसमें कटौती की जा रही है जो कि इन संस्थाओं के साथ सरा सर नाइंसाफी है। इस राशि के जारी होनी के लेट कारण इन संस्थानों की मैनेजमेंट कमेटियों बैंकों से डीफालटर हो रही है। स्टाफ की 6 माह से भी अधिक सैलरी बकाया है। अगर यह राशि जल्द रिलीज़ ना हुई तो कर्ज के साथ डूबे किसानों के बाद आत्महत्या करने वालों की एक और श्रेणी होगी जो इन मैनेजमेंट कमेटियों के मेम्बरों की होगी।