(Date : 25/April/2424)

(Date : 25/April/2424)

एपीजे स्कूल, टांडा रोड, जालंधर, किकबॉक्सिंग चैंपियनशिप में चमका | दोआबा कालेज में क्लीनिकल प्रैक्टिसिज पर वर्कशॉप आयोजित | डीएवी कॉलेज में अंतरमहाविद्यालीय भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया | के.एम.वी. की छात्राओं ने हिंदी में रोज़गार की संभावनाओं के बारे में जाना | पी.सी.एम.एस.डी. कॉलेज फॉर वुमेन, जालंधर में ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर सेमिनार का आयोजन |

आंदोलन सत्र का उपयोग करते हुए डिजिटल मूल और जीवन कौशल शिक्षा’






जालंधर:- हम उस युग में रहते हैं जो हिंसा, घृणा, नकारात्मकता व अविश्वास से परिपूर्ण है जिसने हमारे जीवन को बहुत असुरक्षित व तनावपूर्ण बना दिया है। आज कल के डिजिटल निवासी तकनीकों को अपने फायदे के लिए प्रयोग करने मे विशेषज्ञ हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर सत्य से नाता तोडते जा रहे हैं। उनके लिए जीवन एक कंप्यूटर के विराम व प्रवेश की भाँति मशीनी बन गया है जिसमें भावनाओं के लिए कोई स्थान नहीं है। प्रत्येक जीवन चरण किसी भी साइको आभासी डिजिटल दुनिया के तीन स्तरों की तरह है। आजकल के डिजिटल दुनिया के निवासी अपने जीवन की वास्तविकताओं व असल जिंदगी के कट गए हैं जिस कारण उनका बचपन छिनता जा रहा है और उनकी किशोरावस्था व यौवनवस्था कष्टमय व विनाशकारी बनती जा रही है।

आज चाहे हम तकनीकी युग में खो गए हैं लेकिन यह बात भी नकारी नही जा सकती कि 21वीं सदी के बच्चों को ऐसी शिक्षा देने पर बल दिया जाना चाहिए जिससे उनकी जीवन-शैली में सुधार लाया जा सके और वे झूठे व काल्पनिक संसार से बाहर आकर जीवन की वास्तविकता व सच्चाई का सामना कर सकें।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जीवन कौशल को अनुकूल व सकारात्मक व्यवहार की क्षमता के रूप में परिभाषित किया है जो कि जीवन की माँग व चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम हैं। इसने दस मुख्य जीवन कौशलों की पहचान की है और इन्हे अपने जीवन में शामिल किया है जो बच्चों को उनके सम्पूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए व सिखाने के लिए जरुरी हैं। ये दस मुख्य कौशल हैं – आत्म जागरुकता, गहन सोच, समस्याओं को सुलझाना, निर्णय लेना, पारस्परिक कौशल, सहानुभूति, तनाव का सामना करना, संचार कौशल व भावनाओं को समझना है।

प्रदर्शनकारी कला व आन्दोलन सत्र बच्चों के व्यक्तित्व को निखारने व सँवारने के लिए उचित माध्यम है। ये मूल सिद्धांतों के साथ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से विद्यार्थियों को शरीर व मस्तिष्क के साथ उचित तालमेल रखना सिखाते हैं। यह महत्त्वपूर्ण है कि हम क्या देखते हैं? क्या सुनते हैं तथा क्या बोलते हैं ? क्योंकि ये हमारे व्यक्तित्व के अभिन्न अंग है। इसी तरह कला –प्रदर्शन तथा मुख्य जीवन कौशलों द्वारा यह समझना आसान हो जाता है कि किस प्रकार उन्हें पर्याप्त चुनौतियाँ देकर आत्म अन्वेषण, अनुभव व प्रयोग के काबिल बनाया जा सकता हैं।

अपने विचारों और मानव प्रवृति की अभिव्यक्ति रचनात्मक आंदोलन सत्रों का सुन्दर परिणाम है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कला प्रदर्शन के ढॉचे का उपयोग करके हम एक समावेशी तरीके से सभी बच्चों के विकास के लिए जरूरी कौशलों के साथ सह-संबंध कर सकते हैं। यह जीवन जीने का तरीका सिखाता है और बच्चों को इससे अपने आसपास की दुनिया को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।

  • About Us

    Religious and Educational Newspaper of Jalandhar which is owned by Sarv Sanjha Ruhani Mission (Regd.) Jalandhar