(Date : 19/April/2424)

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डी ए वी में वेद कथा पर विशेष कार्यक्रम में बोले महात्मा चैतन्य मुनि






एक आस्तिक भाव आने से इंसान के अंदर सैंकड़ो गुण आ जाते हैं और एक नास्तिक भाव आने से सैंकड़ो अवगुण' 
 
जालंधर:- आर्य समाज विक्रमपुरा, जालंधर की तरफ से 132वें वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में वेद कथा का विशेष कार्यक्रम शुरू हुआ, यह कार्यक्रम 25 नवम्बर 2017 तक स्थानीय डीएवी संस्थानों में लगातार होगा। इस विशेष कार्यक्रम की कड़ी में आज सायं सबसे पहले डीएवी कॉलेज के ऑडोटोरियम में  वेद कथा का विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में यज्ञ-ब्रह्मा एवं महोपदेशक थे महात्मा चैतन्य मुनि (सुंदर नगर) एवम सानिध्य माता सत्यप्रिया जी।सायंकालीन सभा की शुरुआत में डीऐवी कॉलेज के विद्यार्थियों काशम खान, नीरज थापर, भास्कर गोस्वामी, सन्नी कुमार, मनदीप सिंह ने 'प्रभु मेरे जीवन को कुंदन बना दो' भजन गाया। उसके पश्चात भजनोपदेशके राजेश अमर प्रेमी नें अपनी उपस्थिति दी। राजेश द्वारा गए भजन "कृपा कीजो कृपा निधान...." "बातें जो बनाया करते है,वो करके दिखाना क्या जाने..."कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया' 'जीवन की गहराइयाँ ' को सुन कर बैठे सभी मंत्रमुग्ध और आनंदित हो गये।
 
महात्मा चैतन्य मुनि जी ने अपने उपदेश में उत्तम विचार रखते हुए कहा कि जो व्यक्ति परमात्मा का नाम लेता है वो आशावादी हो जाता है। एक आस्तिक भाव आने से इंसान के अंदर सैंकड़ो गुण आ जाते हैं और एक नास्तिक भाव आने से सैंकड़ो अवगुण। इसीलिए उस परमपिता परमात्मा का ध्यान करते रहना चाहिए ताकि हममें सदैव अच्छे गुण विद्यमान रहें। अगर हम परमपिता परमात्मा से लगाव लगा के रखते हैं तो यह सारा जहान हमारा हो सकता है। अगर हम किसी बात का संकल्प लेते है तो सिर्फ संकल्प करना ही पर्याप्त नहीं अपितु उसके लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है। और जो प्रयत्नशील एवम परिश्रमी व्यक्ति है वो सहायता के लिए केवल परम् पिता परमात्मा को याद करता है। और जिसके साथ परमपिता परमात्मा हो वो कभी असफल नही हो सकता, सफलता सदैव उसके कदम चूमती है।
 
एक इंसान जब किसी ऊंचे पद पर पहुंच जाता है तो उसे घमण्ड नहीं करना चाहिए, उसे उन सभी को स्मरण रखना चाहिए जिनके सहयोग से वो उस पद पर पहुंचा है, वो आपके माता पिता, शिक्षक, मित्र या अन्य कोई हो सकता है। उन सब के प्रति सदभाव रखना चाहिए। जब हम उन सब के प्रति सदभाव रखते हैं तो हमे उन सबका एवम परमपिता परमात्मा का आशीर्वाद मिलता है। एवम जिन्हें इन सबका आशीर्वाद मिल जाए वो कभी असफल नहीं हो सकता। माता सतप्रिया जी ने कहा कि जब इंसान पीड़ा में होता है तब उसे प्रभु का ध्यान आता है। यह मनुष्य जीवन बहुत ही मुश्किल से प्राप्त होता है। कितनी योनियों के बाद जब यह जीवन मिले तो उसे धर्म का पालन करते हुए एवम सद्गुण करते हुए व्यतीत करना चाहिए एवम उस परमात्मा का नाम लेना चाहिए। उन्होंने एक बहुत ही मधुर भजन 'तू कर प्रभु से प्रीत' गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रिंसिपल डॉ एस. के. अरोड़ा ने यज्ञ-ब्रह्मा एवम महोपदेशक महात्मा चैतन्य मुनि जी, माता सत्यप्रिया जी, एवम भजनोपदेशक राजेश अमर प्रेमी और आये उपस्थित मेहनानो का धन्यवाद करते हुए और एंग्लो वैदिक की महत्ता बताई जो भारतीय चिंतन और भारतीय संस्कृति के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी के संगम हैं। आगे प्रिंसिपल अरोड़ा नें कहा की आगे बढ़ने के लिए प्रार्थनाओं का सहारा ले, अब समय आ गया है की हम सभी वेदों के दिखाये मार्ग पर चले और अपने जीवन को सफल बनाये। मंच का संचालन डॉ मीनू तलवार नें किया। धन्यवाद प्रस्ताव प्रिंसिपल डॉ रेखा कालिया भारद्वाज नें पेश किया।
 
भजन संध्या में लोकल मैनेजमेंट समिति के पूर्व प्रधान सेठ कुंदन लाल अग्रवाल, प्रिंसिपल डॉ एस. के. अरोड़ा, वाइस प्रिंसिपल प्रो. टी.डी. सैनी, प्रिंसिपल डॉ रेखा कालिया भरद्वाज, प्रिंसिपल इंदर जीत तलवाड़, प्रिंसिपल एस.पी.सहदेव, रविंदर कुमार शर्मा (कोषाध्यक्ष), स्टाफ़ सेक्रेटेरी प्रो शरद मनोचा, डीन इग्ज़ैमिनेशन प्रो सलिल कुमार उप्पल, डीन ईएमऐ प्रो. एस. एस. रंधावा, डॉ विजय कुमारी गुप्ता, डा. जीवन आशा, डा. एस. के. गुगलानी, प्रो. एस. के. मिड्डा, प्रो. सतपाल सिंह, डॉ संदीपना, प्रो ऋतु तलवाड़, डा. मीनू तलवाड़, प्रो. रविंदर, आफिस सुपरिटेंडेंट आर. के. महाजन भी मौजूद थे।
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