डीऐवी से मेरा हमेशा ही भावनात्मक सम्बन्ध रहा है- डा. उषा उप्पल
" डा. उषा उप्पल पंजाब की पहली महिला बनी जिन्होंने डी.लिट् की उपाधि हासिल की "
जालंधर :-डीऐवी कॉलेज के हिंदी विभाग की अध्यक्षा डा. उषा उप्पल अध्यापन के अपने बेहतरीन 37 वर्षो के बाद सेवानिर्वित हो गईं, डीएवी कॉलेज जालंधर के सभी अध्यापकों ने अपने सहयोगी और हिंदी विभाग की मुखी डॉ. उषा उप्पल को उनके सेवामुक्त होने के सम्मान में पर विदाई दी। कार्यक्रम की शुरुआत स्टाफ सेक्रेटरी प्रो शरद मनोचा नें मंच का संचालन करते हुए आये सभी मेहमानों का स्वागत किया। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा ने डा. उप्पल को महिला सशक्तिकरण का बेजोड़ उदहारण बताया। प्रिंसिपल अरोड़ा नें कहा, डा उषा उप्पल पंजाब की पहली महिला थी जिन्होंने डी.लिट् की उपाधि ग्रहण की।वो सब महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं।वह एक महत्वाकांक्षी, व्यावहारिक, जानकार, मेहनती और सबसे ऊपर पूर्ण शिक्षक हैँ जिन्होनें सभी क्षेत्रों में सकारात्मक योगदान दिया। वह हमेशा मुस्कराती रहती हैं, जोकि उनके जिंदादिल एवम खुशमिजाजी का प्रतीक है। वह अपने स्वभाव से दूसरों के चेहरे पर भी प्रसन्नता ला देती हैं। प्रिंसिपल डॉ एस.के अरोड़ा अपने वरिष्ठ सहयोगी को बधाई देते हुए कहा कि बदलाव ही प्रकृति का नियम है लेकिन डॉ. उषा उप्पल को बहुत याद किया जाएगा। उनके लिये दिलों के और कॉलेज के दरवाजे हमेशा खुले रहेँगे और कॉलेज उनका हमेशा उनका स्वागत करता रहेगा।
डा. उषा उप्पल 1990 में डीऐवी कॉलेज, जालंधर में स्थानांतरित होकर आईं। वह कईं वर्षों तक मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य परिषद की अध्यक्ष रहीं। वह कॉलेज मैगज़ीन 'रवि' की मुख्य सम्पादक भी रहीं। इसके इलावा उन्होंने कॉलेज की रिसर्च कमेटी, डेकोरेशन कमेटी, डिस्प्लीन कमेटी में भी कार्य करते हुए अपना अभूतपूर्ण योगदान दिया। वह 2016 में हिंदी विभागाध्यक्ष बनी। डा. उप्पल विश्विद्यालय क्षेत्र में स्नातक व् स्नात्कोतकर स्तर पर लैंग्वेज फैकल्टी की सदस्य, बोर्ड ऑफ़ स्टडीज की सदस्य के अतिरिक्त गुरु नानक देव विश्विद्यालय की एकेडेमिक कौंसिल की सदस्य भी रहीं। 2003 में वो पंजाब की पहली महिला बनी जिन्होंने डी.लिट् की उपाधि हासिल की। अपने विदाई भाषण में डा. उषा उप्पल ने अपने अध्यापन के सफर को याद किया एवम अनुभवों को सांझा किया। उन्होनें कहा कि वो पिछले 37 वर्षों से डीऐवी की सेवा कर रही हैं।वो डीऐवी में एक अध्यापक के तौर पर आई लेकिन सदैव एक स्टूडेंट बन के रही। क्योंकि एक अध्यापक रिटायर हो सकता है, लेकिन एक स्टूडेंट कभी रिटायर नहीं हो सकता। वह सदैव सीखने का प्रयत्न ही करती थी, क्योंकि इंसान कभी सम्पूर्ण नही हो सकता और उसे सदैव सीखते रहना चाहिए। उन्होनें आगे कहा कि मैं आगे भी काम करती थी, मैं अब भी काम करता रहूँगी, मै काम करती हूं क्योंकि मुझे इससे ऊर्जा मिलती है, मेरी बुध्दि तेज होती है और मुझे अपने भीतर छिपी हर प्रतिभा को उपयोग करने का अवसर मिलता है। लोगों पर अपनी काबिलियत, अपने ज्ञान और पूर्व अर्जित सफलता का सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हूं। और इस तरह अर्थपूर्ण सेवा दे सकती हूं।
कॉलेज में बिताये अपने सुखद क्षणों को याद करते डा. उप्पल नें कहा कि उन्होंने 23 जुलाई 1979 को डीऐवी बटाला से अपना अध्यापन सफर शुरू किया था और इस दौरान उन्होंने 11 प्रिंसिपल के साथ काम किया। उन सबसे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। उनका डीऐवी से बहुत ही भावनात्मक सम्बन्ध रहा है। उन्होंने कहा कि उनका यह सारा सफर बहुत ही सुखद बीता और वह अपने जीवन से पूर्णतः संतुष्ट हैं। अगर समय सुखद हो तो सुहानी और अच्छी स्मृतियाँ समय को सिकोड़ देती हैँ। कॉलेज के हर दिन से मैंने कुछ न कुछ नया सीखा है, शिक्षण हमेशा से ही मेरा शौक रहा और किताबें हमेशा से ही मेरी सबसे करीबी दोस्त रही। मैंनें अपने कार्यकाल का भरपूर आनंद लिया। मैँ खुश हूँ की मैं सभी के विचारों में हूँ और रहूँगी। सभी का धन्यवाद् देते हुए डा. उप्पल नें कहा, की वह हमेशा इस प्यार,स्नेह और भावनाओं के कर्ज़दार रहेंगी। उन्होनें कहा कि अब उनके जीवन का एक नया सफर आरम्भ होने जा रहा है, एवम वो इसके लिए पूरी तरह तैयार है और इस जीवन को भी पूरे आनंदमय तरीके से व्यतीत करेंगी। उन्होंने डा. संदीपना को अपनी जगह हिंदी विभाग का नया अध्यक्ष बनने पर अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि उन्हें डा. संदीपना के कुशल नेत्तृत्व पर पूरा भरोसा है और वो विभाग को नई उच्चाईओं पर लेकर जाएंगी। वहीं इस दौरान कॉलेज के वाईस प्रिंसिपल एवं कमर्स विभाग के मुखी प्रो. वी.के. सरीन ने कहा कि मनुष्य जन के लिए उसका कार्य ही पूजा है और जिसने इस रास्ते का अनुसरण किया, वह आसमान तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि इस कॉलेज में बिताये 37 वर्षों के इस लंबे कार्यकाल में डॉ उप्पल हमेशा ही अपने कार्य को लेकर सजग रहीं। प्रिंसिपल डा. एस.के. अरोड़ा, वाईस प्रिंसिपल वी.के. सरीन एव टी.डी. सैनी, प्रो. कमलदीप सिंह, डा. मनु सूद, प्रो. शरद मनोचा, डा. संदीपना ने डा. उप्पल को इस मौके पर सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त प्रो. एस.एस. रंधावा (प्रेजिडेंट, पीसीसीटीयू लोकल कमेटी) एवम प्रो. मनोज अरोड़ा (सेक्रेटरी, सेक्रेट्री पीसीसीटीयू लोकल कमेटी) ने यूनियन की तरफ से सिल्वर साल्वर देकर डा. उप्पल को सम्मानित किया। इस अवसर पर धन्यवाद पंक्तियाँ स्टाफ़ सचिव प्रो. शरद मनोचा द्वारा प्रस्तुत की गईं। संयुक्त सचिव स्टाफ़ प्रो अमित शर्मा और सम्पूर्ण कॉलेज की स्टाफ काउंसिल डॉ उषा उप्पल को भावपूर्ण विदाई दी।