(Date : 18/April/2424)

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सेंट सोल्जर ग्रुप ऑफ इंस्टीटूशन्स के सभी स्कूल शाखाओं ने मनाया वर्ल्ड आर्ट डे | के.एम.वी. द्वारा राष्ट्रीय क्वांटम सप्ताह मनाते हुए एलिस इन क्वांटम लैंड विषय पर वर्कशॉप आयोजित | मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का संपूर्ण जीवन मानव जाति के लिए प्रेरणास्रोत है: सांसद रिंकू | पी.सी.एम.एस.डी. कॉलेज फॉर वुमेन, जालंधर के कॉस्मेटोलॉजी विभाग द्वारा राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन | जीवनजोत सवेरा समाचार पत्र का नया अंक |

डिप्स में समाजिक शिक्षा पर कार्यशला आयोजित






जालंधर 19 सितंबर: डिप्स स्कूल अर्बन एस्टेट के प्रांगण में सामाजिक शिक्षा की कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में रूची मल्होत्रा उपस्थित हुई। इस दौरान सी.ई.ओ मोनिका मंडोत्रा मुख्य अतिथि तथा डिप्स कपूरथला की प्रिंसीपल राधा गक्खड़ विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित हुई। कार्यशाला दौरान मुख्य वक्ता रूची ने सभी अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए बताया कि शिक्षण भी एक कला है। जिसमें अध्यापक अपनी कार्य कुशलता अनुसार एक विद्यार्थी का सृजन करता है तथा उसे एक सभ्य नागरिक बनाता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक शास्त्र के द्वारा ही समाज की रचना मानी जाती है। सामाजिक शिक्षा का अध्यापक विद्यार्थियों को समाज, भूगोल, इतिहास तथा नागरिक शास्त्र से अवगत करवाता है। उसे हर राज्य, देश, व्यक्ति, जाति,परम्परा तथा समाज के हर अंग से रूबरू करवाता है। जिक्रयोग है कि घरों में विद्यार्थियों को अक्सर विज्ञान तथा गणित की ओर अधिक ध्यान देने के लिए कहा जाता है। लेकिन सही मायनों में देखा जाए तो सामाजिक शास्त्र भी उनके लिए उतना ही जरूरी है जिनसे वह समाज के बाबत ज्ञान प्राप्त करते है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को समाजिक शास्त्र में रूची नही होती। उनकी रूची को बनाने के लिए अध्यापकों को रोकामर्रा के जीवन से उदाहरण लेते हुए शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कक्षा में पाठ्यक्रम करवाते समय विद्यार्थियों को बोलने का अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने चाहिए। इस दौरान उन्होंने नागरिक शास्त्र बाबात जानकारी देते हुए बताया कि इस पाठ्यक्रम को करवाने से पहले मौक पालर्यमैंट बनाना चाहिए तथा उसमें छात्रों की प्रतिभागिता करवा कर बातों बातों में विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम से परिचित करवाना चाहिए। इसी प्रकार भूगोल को सिखाने के लिए स्मार्ट क्लास का प्रयोग करें । विद्यार्थियों की रूची को ध्यान में रखकर ही पाठ्यक्रम को सही मायनों में विद्यार्थियों तक पहुंचाया जा सकता है। इस दौरान स्कूल की प्रिंसीपल नीलू बावा ने आये हुए अतिथि का धन्यवाद किया तथा कहा कि इस कार्यशला का मुख्य उदेश्य अध्यापकों के ज्ञान में वृद्धि करवाना था तथा भविष्य में भी समय समय पर इस प्रकार की कार्यशाला आयोजित करवाते रहेंगे।

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