डिप्स में प्री-विंग की कार्यशाला आयोजित
गुरू- कच्ची मिट्टी के समान न्नहे-मुन्नों को एक सभ्य इंसान बनाने की क्षमता रखता है
जालंधर 16 सितम्बर: गुरू यानि गुरों का अथाह सागर । गुरू वह है जो एक छात्र को जीवन में जीने की नई राह दिखाते हुए उसे सफलता के पथ पर अग्रसर करता है। यह शब्द मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्री-विंग विशेषज्ञ उर्वशी भाटिया ने डिप्स स्कूल अर्बन एस्टेट के प्रांगण में डी.ई.आर.डी.बी द्वारा आयोजित प्री विंग अध्यापकों की कार्यशाला दौरान कहे। इस कार्यशाला में विषेश अतिथि के रूप में डिप्स चेन की चीफ एडवाईज़र डा. जसमीत कौर तथा सी.ईओ मोनिका मंडोत्रा उपस्थित हुए। कार्यशाला का मंच संचालन डी.ई.आर.डी.बी प्री-विंग एडवाइज़र मोनिका मेहता ने किया। कार्यशाला दौरान मुख्य वक्ता ने अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरु के पास भग्वान की असीम ताकत होती है जो कच्ची मिट्टी के समान न्नहे- मुन्नों को एक सभ्य तथा उच्च चरित्र का इंसान बनाने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि अध्यापकों को विद्यार्थियों की लिखावट को बनाने के लिए एस शब्द के तीन स्तरों को ध्यान में रखना चाहिए प्रथम स्तर है शेप, दूसरा एस साइज़ तथा तीसरा स्लांट। उन्होंने कहा कि किसी भी कविता को याद करवाते समय या रंगों को बताते हुए उन्हें खुले पर्यावरण में लेजाकर समझाया जाए तो उन्हें जल्द याद होगा। बच्चों को संगीत के ज़रिए किसी वस्तु को याद करवाना सबसे सरल तथा उत्तम माधयम माना गया है। इस दौरान उन्होंने अध्यापकों को एक लघु फिल्म दिखाई जिसमें दिखाया गया कि बच्चे संगीत के ज़रिये पाठ्यक्रम को कितनी जल्द ग्रहण करते हैं। इस दौरान उन्होंने अध्यापकों को स तथा श, व तथा ब, ज़ तथा ज के भेद को समझाते हुए बताया कि अक्सर बच्चे यहा तक कि बड़े भी एक दूसरे के स्थान पर इन शब्दों का प्रयोग करते है जो कि गलत है इसलिए हमें शुरु से ही उनके भेद को बताते हुए उनका उच्चारण सही करना आवश्यक है। इसी के साथ उन्होंने अध्यापकों को टीचिंग की कई बारिकियों से अवगत करवाया । इस दौरान डी.ई.आर.डी.बी द्वारा सभी अध्यापकों को सैकिंड टर्म प्री-विंग के पाठ्यक्रम की ओरल सी.डी भी प्रदान की ।