डीऐवी से मेरा हमेशा ही भावनात्मक सम्बन्ध रहा है:- प्रो. अंजु प्रिंजा
जालन्धर (JJS) डीऐवी कॉलेज के अंग्रेज़ी विभाग की प्रो. अंजु प्रिंजा अध्यापन के अपने बेहतरीन 24 वर्षो के बाद सेवानिर्वित हो गईं। डीएवी कॉलेज जालंधर के सभी अध्यापकों ने अपने सहयोगी को उनके सेवामुक्त होने के सम्मान में पर विदाई दी। कार्यक्रम की शुरुआत स्टाफ सेक्रेटरी प्रो विपिन झांजी नें मंच का संचालन करते हुए आये सभी मेहमानों का स्वागत किया।
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा ने प्रो अंजु प्रिंजा को महिला सशक्तिकरण का बेजोड़ उदहारण बताया। प्रिंसिपल अरोड़ा नें कहा प्रो. अंजु सब महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं। वह एक महत्वाकांक्षी, व्यावहारिक, जानकार, मेहनती और सबसे ऊपर पूर्ण शिक्षक हैँ जिन्होनें सभी क्षेत्रों में सकारात्मक योगदान दिया। वह हमेशा मुस्कराती रहीं हैं, जोकि उनके जिंदादिल एवम खुशमिजाजी का प्रतीक है। वह अपने स्वभाव से दूसरों के चेहरे पर भी प्रसन्नता ला देती हैं। प्रिंसिपल डॉ एस.के अरोड़ा अपने वरिष्ठ सहयोगी को बधाई देते हुए कहा कि बदलाव ही प्रकृति का नियम है लेकिन प्रो. अंजु को बहुत याद किया जाएगा। उनके लिये दिलों के और कॉलेज के दरवाजे हमेशा खुले रहेँगे और कॉलेज उनका हमेशा उनका स्वागत करता रहेगा।
प्रो. अंजु प्रिंजा 1995 में डीऐवी कॉलेज, जालंधर में स्थानांतरित होकर आईं। अपने विदाई भाषण में प्रो. अंजु प्रिंजा ने अपने अध्यापन के सफर को याद किया एवम अनुभवों को सांझा किया। उन्होनें कहा कि वो पिछले 24 वर्षों से डीऐवी की सेवा कर रही हैं। वो डीऐवी में एक अध्यापक के तौर पर आई लेकिन सदैव एक स्टूडेंट बन के रही। क्योंकि एक अध्यापक रिटायर हो सकता है, लेकिन एक स्टूडेंट कभी रिटायर नहीं हो सकता। वह सदैव सीखने का प्रयत्न ही करती थी, क्योंकि इंसान कभी सम्पूर्ण नही हो सकता और उसे सदैव सीखते रहना चाहिए। उन्होनें आगे कहा कि मैं आगे भी काम करती थी, मैं अब भी काम करता रहूँगी, मै काम करती हूं क्योंकि मुझे इससे ऊर्जा मिलती है, मेरी बुध्दि तेज होती है और मुझे अपने भीतर छिपी हर प्रतिभा को उपयोग करने का अवसर मिलता है। लोगों पर अपनी काबिलियत, अपने ज्ञान और पूर्व अर्जित सफलता का सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हूं। और इस तरह अर्थपूर्ण सेवा दे सकती हूं।
कॉलेज में बिताये अपने सुखद क्षणों को याद करते प्रो अंजु नें कहा कि उन्होंने 1986 से 1988 तक बी डी आर्य कॉलेज अपनी सेवाएँ दी उसके बाद 1988 में डीऐवी गिद्दड़बाहा से अपना अध्यापन सफर शुरू किया था और इस दौरान उन्होंने कई प्रिंसिपल के साथ काम किया। उन सबसे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। उनका डीऐवी से बहुत ही भावनात्मक सम्बन्ध रहा है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से एम फ़िल प्राप्त प्रो अंजु ने कहा कि उनका यह सारा सफर बहुत ही सुखद बीता और वह अपने जीवन से पूर्णतः संतुष्ट हैं। अगर समय सुखद हो तो सुहानी और अच्छी स्मृतियाँ समय को सिकोड़ देती हैँ। कॉलेज के हर दिन से मैंने कुछ न कुछ नया सीखा है, शिक्षण हमेशा से ही मेरा शौक रहा और किताबें हमेशा से ही मेरी सबसे करीबी दोस्त रही। मैंनें अपने कार्यकाल का भरपूर आनंद लिया। मैँ खुश हूँ की मैं सभी के विचारों में हूँ और रहूँगी। सभी का धन्यवाद् देते हुए प्रो. अंजु प्रिंजा नें कहा, की वह हमेशा इस प्यार,स्नेह और भावनाओं के कर्ज़दार रहेंगी। उन्होनें कहा कि अब उनके जीवन का एक नया सफर आरम्भ होने जा रहा है, एवम वो इसके लिए पूरी तरह तैयार है और इस जीवन को भी पूरे आनंदमय तरीके से व्यतीत करेंगी।
वहीं इस दौरान स्टाफ सेक्रेटरी प्रो. विपिन झांजी ने कहा कि मनुष्य जन के लिए उसका कार्य ही पूजा है और जिसने इस रास्ते का अनुसरण किया, वह आसमान तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि इस कॉलेज में बिताये 24 वर्षों के इस लंबे कार्यकाल में प्रो. अंजु हमेशा ही अपने कार्य को लेकर सजग रहीं। प्रिंसिपल डा. एस.के. अरोड़ा, वाईस प्रिंसिपल प्रो. अरुण मेहरा, प्रो. अजय अग्रवाल, इंग्लिश विभाग के मुखी प्रो सलिल उप्पल, प्रो. शरद मनोचा, प्रो. सोनिका दानिया, प्रो. एन के नेब, डा. रेणु गुप्ता और अकाउंट ऑफ़िसर अनिल शर्मा ने प्रो. अंजु को इस मौके पर सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त डॉ संजीव धवन (प्रेजिडेंट, पीसीसीटीयू लोकल कमेटी) एवम डॉ नवजीत शर्मा (सेक्रेटरी, पीसीसीटीयू लोकल कमेटी) ने यूनियन की तरफ से सिल्वर साल्वर देकर प्रो. अंजु को सम्मानित किया।
इस अवसर पर धन्यवाद पंक्तियाँ स्टाफ़ सचिव प्रो. विपिन झांजी द्वारा प्रस्तुत की गईं। संयुक्त सचिव स्टाफ़ प्रो दीपक वधावन और सम्पूर्ण कॉलेज की स्टाफ काउंसिल ने प्रो. अंजु प्रिंजा को भावपूर्ण विदाई दी।