(Date : 25/April/2424)

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डीएवी कॉलेज के संस्कृत विभाग द्वारा करवाया गया सेल्फ मोटिवेटिंग वर्कशॉप का आयोजन






जालन्धर (JJS) मोहित:- डी ऐ वी कॉलेज जालंधर के संस्कृत विभाग द्वारा सेल्फ मोटिवेटिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया । जिसमें डीऐवी कॉलेज के पूर्व प्रधान एवम लोकल मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य कुन्दन लाल अग्रवाल जी मुख्यातिथि के रूप में विराजमान थे। संस्कृत विभाग के पूर्व विभागध्यक्ष डॉ आर.डी. तिवाड़ी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस आयोजन में संस्कृत के नौं आचार्यों को बुलाया गया। विशवेशवरानद वैदिक शोध संस्थान साधु आश्रम होशियरपुर से डॉ प्रेम लाल शर्मा जी , रितु बाला जी मेहर चंद पोलटेक्निकल कॉलेज से रिटायर्ड डॉ वी.के. समर जी, किरन बाला जी, गौरी शंकर जी, शशी जी, राम स्वरूप , अनुज शर्मा जी उपस्थित थे। विभाग की अध्यक्षता डॉ. जीवन आशा ने सभी अतिथियों एवम आचार्यों का स्वागत करते हुऐ सभी का परिचय दिया।

इस मौके पर प्रिंसिपल डा. एस. के. अरोड़ा ने कहा कि संस्कृत विभाग द्वारा इस वर्कशॉप का आयोजन करवाना वास्तव में प्रशंसनीय है। आज समाज में नकरात्मकता फैल रही है, जिससे जीवन नीरस हो रहा है। उसके लिए हमारे जीवन में सकरात्मक ऊर्जा होना अति ही आवश्यक है। यदि आप जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आत्म प्रेरणा आवश्यक है। आपको खुद को प्रेरित करने का तरीका पता होना चाहिए। आपको अपनी आत्मा को उच्च रखने में सक्षम होना चाहिए, चाहे वह किसी भी स्थिति में कितना भी निराशाजनक क्यों न हो। कठिनाइयों को दूर करने के लिए आपको शक्ति प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है कठिन समय में हतोत्साहित होने वालों को लड़ाई खत्म होने से पहले ही हारना निश्चित है। और यह वर्कशॉप आपको इन सब में मदद करेगी।

समर साहब ने संस्कृत के ज्ञान को अच्छी प्रकार स्पष्ट करते हुए वेदांग के साथ साथ वैज्ञानिक रूप में इस के महत्व को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि जीवन मे सकरात्मक ऊर्जा बहुत ही आवश्यक है। वेद और उपनिषद हमारी प्राचीन संस्कृति है। हमें इनका अध्यन करना चाहिए। इनके ज्ञान से हमारे अंदर एक सकरात्मक ऊर्जा उत्तपन होती है। ज्ञान ही सभी नकरात्मकाओं को दूर करता है। और हमारे वेद एवम उपनिषद इसका सबसे बड़ा स्रोत हैं। विशेष अतिथि के रूप में आये हुए डॉ आर डी तिवाड़ी ने विष्य को स्पष्ट करते हुए संस्कृत विभाग की उपलब्धियो पर प्रकाश डाला। संस्कृत विभाग की अध्यक्षा डा. जीवन आशा ने कहा कि इंसान वैसा ही बनता जाता है जैसी वह सोच रखता है। यह कथन छोटे या बड़े हर व्यक्ति पर लागू होता है। आप जिंदगी में सफल तभी हो सकते हैं जब आप सफलता हासिल करने के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे। अगर अपनी खामियां ढूंढ-ढूंढकर खुद को कमतर ही आंकते रहेंगे तो कभी सफलता की ओर कदम नहीं बढ़ा सकेंगे। इसी प्रकार की सकरात्मकता के लिए इस वर्कशॉप का आयोजन किया गया है।

रितु तलवाड़ ने मंच का संचालन किया। प्रचार्या जी विभाग के सभी सदस्यों डॉ जीवन आशा , प्रो रितु तलवाड़ , प्रो विवेक , प्रो टीना वैध , प्रो रीटा ने सभी को बधाई दी।

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