(Date : 28/March/2424)

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के.एम.वी में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया






जालंधर (JJS) अजय छाबड़ा:- के.एम.वी जालंधर के पी.जी. डिपार्टमैंट आफ हिंदी द्वारा हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। हिंदी का कालजयी साहित्य : आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिकता विषय पर आयोजित हुई इस संगोष्ठी की अध्यक्षता चन्द्र मोहन, अध्यक्ष, आर्य शिक्षा मंडल ने की। प्रो. हरमोहेंन्द्र सिंह बेदी चांसलर, सैंट्रल यूनिवर्सिटी, हिमाचल प्रदेश, शिरोमणि साहित्यकार एवं मीडिया कर्मी प्रो. सुरेश सेठ, रमन मीर, डिप्टी न्यूज एडीटर, दैनिक भास्कर ने कालजयी साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार सबके साथ सांझा किए। प्रिंसीपल प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी विद्यालय प्राचार्या प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने सभी अतिथियों का अभिनंदन एवं स्वागत करते हुए अपने संबोधन में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य मानव समाज की एक ऐसी संपदा है जिसमें जीवन को सफल और सुचारु रुप से जीने की प्रेरणा देने वाले अमूल्य विचार दर्ज हैं। उन्होंने विभिन्न मूल्यवान साहित्यिक पंक्तियों की उदाहरण देते हुए इनके अर्थ को समझ कर जीवन में उतारने की प्रेरणा दी।  

प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी उदघाटन व्याख्यान में प्रो. बेदी ने के.एम.वी. द्वारा नारी सशक्तीकरण के लिए दिए गए बहुमुल्य एवं गुणात्तमक योगदान को कालजयी बताते हुए कन्या महाविद्यालय के ऐतिहासिक योगदान की सराहना की। भारत की समृद्व साहित्यिक विरासत एवं विश्व स्तर पर उसकी ख्याति एवं सर्वमान्यता से विद्यार्थियों को परिचित करवाते हुए प्रो. बेदी ने लेखकों की नई पीढ़ी के प्रति विश्वास व्यक्त किया। 

प्रो. सुरेश सेठ बीज व्याख्यान संगोष्ठी के बीज वक्ता प्रो. सुरेश सेठ ने हिन्दी, बंगला, पंजाबी इत्यादि विभिन्न भाषाओं में लिखी गई कालजयी कृतियों का उल्लेख करते हुए वर्तमान परिस्थितियों में उनके द्वारा निभाई गई क्रांतिकारी भूमिका से विद्यार्थियों को परिचित करवाया। बलवंत गार्गी, कृष्णा सोबती, भीष्म साहनी, अमृता प्रीतम तथा मोहन राकेश के साहित्य का जिक्र करते हुए पंजाब के इन साहित्यकारों के योगदान को रेखांकित किया। 

प्रमुख वक्ता रमन मीर जी ने अपने वक्तव्य में भाषा और साहित्य में निहित जीवन मूल्यों की युगयुगीन प्रासंगिकता पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान पीढ़ी को इन महान कृतियों से जोडऩा एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। चन्द्रमोहन ने अपने कालजयी अध्यक्षीय व्याख्यान में कहा कि कालजयी साहित्य में निहित जीवन मूल्य ही उसकी वास्तविक शक्ति है और जब तक यह शक्ति साहित्य के पास है तब तक वह प्रासंगिक बना रहेगा आवश्यकता हमें उन महान जीवन मूल्यों को समझने और अपनाने की है। उन्होंने युवा छात्राओं को कालजयी रचनाओं को पढऩे और उनमें समाए जीवन-मूल्यों, मान्यताओं और मानवीय संस्कृति को समझने के लिए प्रेरित किया। 

संगोष्ठी के अंत में हिन्दी विभाग की अध्यक्षा डा. विनोद कालरा ने सभी अतिथियों एवं सुधी विद्वानों के प्रति आभार व्यक्त किया। पंजाबी, हिन्दी तथा अंग्रेजी विषय की बी.ए., एम.ए, तथा बी.ए. आनर्का की छात्राओं ने इस संगोष्ठी में सहभागिता की। इस अवसर पर भाषा संकाय के वरिष्ठ प्राध्यापक भी उपस्थित थे। 

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