(Date : 25/April/2424)

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के.एम.वी. में अध्यात्मिक चेतना सार्थकता का स्त्रोत विषय पर लैक्चर का आयोजन






जालन्धर (अजय छाबड़ा):- भारत की विरासत संस्था कन्या महाविद्यालय, आटोनामस कालेज, जालंधर में आध्यात्मिक चेतना सार्थकता का स्त्रोत विषय पर स्वामी विश्वांग जी के व्याख्यान एवं संवाद-सत्र का आयोजन किया गया। वर्तमान जीवन की भागदौड़ भरी जीवन-शैली और उससे उत्पन तनाव तथा भौतिक इच्छाओं और उच्च मानवतावादी मुल्यों के बीच संघर्ष के कारण मानव मन की दुविधा से जन्म लेने वाले अनेकानेक प्रश्नों को संबोधित करने वाले इस व्याख्यान को के.एम.वी. टीचिंग फैकल्टी और सभी स्ट्रीम्स के विद्यार्थियों ने सुना और स्वामी जी के पावन प्रवचनों का लाभ उठाया। कार्यक्रम के प्रारंभ में विद्यालय प्राचार्या प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने स्वामी जी का पुष्पित अभिनंनदन किया। स्वामी जी ने अपने व्याख्यान में पिछले जन्मों के फलस्वरुप बनने वाले प्रारब्ध अथवा भागय और पुरुषार्थ से हम कुछ सीमा तक अपने प्रारब्ध को भी बदल सकते है।

स्वामी जी ने बताया कि जीवन में उपलब्धियां और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढऩा बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन इन उपलब्धियों की सार्थकता तभी है जब हम भीतर से तनाव रहित और प्रसन्न हों। स्वामी जी ने बताया कि सूचना और तकनीक के इस दौर में जानकारी और ज्ञान का आभाव नहीं परंतु फिर भी मनुष्य अंदर से दुखी है क्योंकि हमारा ज्ञान हमारे व्यवहार का हिस्सा नहीं बनता। हमारा विवेक नहीं बन पाता जिससे ज्ञानकारी व ज्ञान होते हुए भी हम दुखी रहते है। इसलिए मनुष्य को यदि जीवन में सुखी रहना है तो उसे अपने ज्ञान को अपने विवेक और व्यवहार में उतारना होगा। अन्य व्यक्तियों से अनावश्यक आपेक्षा करना और छोटी-छोटी भूलों पर झगड़ा करने की आदत को छोडक़र मनुष्य धैर्यपूर्वक अपने आचार और व्यवहार को अनुशासित एवं नियंत्रित करे। इसी मार्ग पर चलकर मनुष्य अपना विकास कर सकता है। स्वामी जी ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि विद्या वही सार्थक है जो हमें समय रहते भले-बुरे प्रति सुचेत कर दे क्योंकि इसी से वह अपने भविष्य में दुखों को दूर रह कर सुखी रह सकता है। व्याख्यान के बाद स्वामी विश्वांग जी ने विद्यार्थियों और प्राध्यापकों के प्रश्नों तथा समस्याओं का समाधान किया।

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