(Date : 20/April/2424)

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डीएवी में विधार्थियों ने पोलिथिन थैलियों का प्रयोग नहीं करने के प्रतिज्ञा पत्र पर किए हस्ताक्षर






- 'पॉलीथिन पर्यावरण में जहर घोलने का काम कर रहा है। इसके लिए सभी को आगे आने की जरूरत है' - प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा

                         
        

जालन्धर (साहिल) :- कॉलेज में अपने आदर्श वाक्य " एक विश्व एक पर्यावरण " के साथ पर्यावरण के पक्ष में सख्त निर्णय लिए। छात्र, शिक्षक और गैर शिक्षण कर्मचारियों ने हर साल एक पेड़ की रक्षा करने की प्रतिज्ञा ली और साथ ही कॉलेज परिसर में प्लास्टिक बैग पर पूर्ण तौर पर पाबंदी लगा दी गई। प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा ने कहा, पर्यावरण की संरक्षणा करने का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है, जब हम सब मिलकर आज यह प्रण लें कि हम अपने दैनिक जीवन में पॉलीथिन के इस्तेमाल को बंद कर पर्यावरण की रक्षा करेंगे। यह कार्य शिक्षक बहुत ही अच्छे ढंग से कर सकते हैं, शिक्षकों को कॉलेज में विद्यार्थियों को पॉलिथीन के उपयोग से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करते हुए इसका उपयोग नहीं करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे नई पीढ़ी सजग होगी तो आने वाले समय में इसका उपयोग बंद हो सकता है।

आगे प्रिंसिपल अरोड़ा ने कहा,कॉलेज सफाई और स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसके प्रभाव के बारे में अत्यधिक सचेत है। छात्रों और कर्मचारियों को इस संबंध में अवगत करवाया जाता है।  परिसर के आसपास सफाई बनाए रखने की दिशा में “क्लीन कैम्पस प्रोग्राम ”भी चलता है। कॉलेज मूल रूप से समाज में तीन संदेश फैलाने का उद्देश्य लेकर चला है: कूड़ा नहीं करना और किसी और को कूड़ा नहीं करने देना, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग को खत्म करना, दीवारों पर पोस्टर ना चिपकाने देना । मुझे नहीं लगता है कि केवल कूड़ेदान में कचरा फेंक देने से स्वच्छ्ता आएगी, इसके लिए हमें अपने आसपास स्वच्छ्ता रखनी होगी। हमे प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।  इसी मुहीम के अंतर्गत आज कॉलेज में 400 से अधिक छात्रों और स्टाफ के सदस्यों ने प्लास्टिक बैग न इस्तेमाल करने के प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर भी किये।

कॉलेज में पानी की किल्लत को भी ख़त्म करने के लिए भी एक जल संचयन की सुविधा है। अपशिष्ट जल सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। प्रिंसिपल अरोड़ा नें स्टूडेंट्स, शिक्षक और गैर शिक्षण कर्मचारियों को पानी की इष्‍टतम उपयोग करने के लिए आग्रह भी किया।

शपध पत्र में लिखा था, " मैं प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल न करने और जब तक संभव हो पुन: प्रयोज्य बैग का उपयोग की शपध लेता/लेती हूँ। मैं अपने स्कूटर, कार, पर्स और बैग  में पुन: प्रयोज्य बैग को हमेशा रखूँगा/ रखूँगी, ताकि ज़रूरत के समय हमेशा वह बैग मेरे पास रहे, इस तरह करते हुए मैं प्लास्टिक बैग से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने में मदद कर सकूँगा/ सकूँगी"

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