(Date : 25/April/2424)

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'आपका' अपना डी ए वी कॉलेज हुआ सौ साल का 






"डी ए वी कॉलेज जब से अपनी बुनियाद पर कायम हुआ है तभी से लेकर आज तक यह देश के सबसे अहम उत्कृष्ट शिक्षा संस्थानों में से एक माना गया है, इस कॉलेज ने अनुसंधान और शिक्षण के  क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए मजबूत प्रतिबद्धता  को बरकरार रखा है  डी ए वी कॉलेज देश का एक अहम रोल मॉडल बनने में कामयाब  है" - प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा                                                           

जालंधर (साहिल) :- स्थापना:-डी ए वी कॉलेज जालंधर की नींव 13 मई , 1918 में उस दौर के प्रिंसिपल पंडित मेहर चंद , पंडित लखपत राय और लाला राधा राम ने महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की याद और उनके शिक्षा विषयक मौलिक विचार को पूर्ण करने के लिए रखी। तब से लेकर अब तक यह डी ए वी कॉलेज जालंधर समाज और देश में ज़िम्मेदार नागरिक प्रदान करने में सफल रहा है। यहाँ सिर्फ पढ़ाया ही नहीं जाता , बल्कि बच्चों  में नैतिक मूल्यों को पैदा किया जाता है। कॉलेज के निर्माण के दौरान प्रिंसिपल मेहर चंद नें खुद ईंटों का चुनाव किया जो आगे चल कर विरासत के निर्माण के लिए इस्तेमाल की गई। डी ए वी कॉलेज नें शिक्षा के क्षेत्र में अपने अस्तित्व के 100 साल पुरे किए। पुरे देश के लिए गौरव की बात है कि विभाजन से पहले से स्थापित जालंधर का डी ए वी कॉलेज शिक्षा क्षेत्र में अपनी स्थापना के 100 वर्ष पुरे कर चुका है। अपनें इन स्वर्णिम वर्षों में कॉलेज नें न सिर्फ अकडेमिक्स बल्कि खेल कूद और बाह्य गतिविधियों में भी अपना स्थान शीर्ष पर बनाये रखा। 

" 1918 में कॉलेज नें एफ ए की डिग्री से शुरुआत की, श्री ए के मायर कॉलेज के पहले विद्यार्थी थे। अपने स्थापना के 25वे वर्ष में कॉलेज ने जियोग्राफी सब्जेक्ट को शुरू किया, अपने 50वे साल में कॉलेज ने एम ए इंग्लिश शुरू की और 75वे वर्ष में एम बी ए डिग्री को भी जोड़ा। डी ए वी में इस समय 14 पोस्ट ग्रेजुएट,3 पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, 12 अंडर  ग्रेजुएट कोर्स चला रहा है और जिसमें 22 विभिन शैक्षिक  विभाग मौजूद हैं "शैक्षिक सफलता की बात करें तो कॉलेज नें देश को बहुमूल्य रत्नों से नवाज़ा, देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश से लेकर प्रदेश के कई मंत्री, अधिकारी और वैज्ञानिक कॉलेज के विद्यार्थी रहे हैं, जैसे श्री एम एन पंछी (भारत के मुख्य न्यायाधीश), श्री तलवार (पी जी आई में पूर्व डायरेक्टर), श्री शरत् सबरवाल (पाकिस्तान में पूर्व भारतीय राजदूत),प्रो ए एस बराड़ ( गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के वर्तमान उपकुलपति), पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रो अरुण कुमार ग्रोवर , शहीद मेजर रमन दादा , शहीद दलजीत मिन्हास  और पंजाब के अधिकतम पड़ोसी संस्थाओं के प्रिंसिपल्स भी डी ए वी कॉलेज की देन हैं। तथा डी ऐ व् कॉलेज ने देश को 22 ओलिंपियन , 8 अर्जुन अवार्डी , 3 ध्यान चाँद अवार्डी , और 3 द्रोणाचार्य अवार्डी भेंट किये। न सिर्फ शैक्षिक उपलब्धियां बल्कि अतिरिक्त सांस्कृतिक गतिविधियों की लंबी सूची जिसमें विश्व् प्रसिद्ध गजल गायक श्री जगजीत सिंह, विख्यात बॉलीवुड गायक सुखविंदर सिंह, प्रसिद्ध सूफी गायक हंस राज हंस और फ़िल्म उद्योग में नवीनतम प्रविष्टि दीपांशु पंडित पर कॉलेज गर्व मेहसूस करता है।

खेल कूद में भी कॉलेज को इन 100 वर्षो में खूब ख्याति मिली,यूं कहें की राजीव गांधी खेल रतन अवार्ड के अतिरिक्त कॉलेज को तक़रीबन सभी खेल पुरस्कारों से नवाज़ा गया। 22 ओलय्म्पियंस, 8 अर्जुन अवार्ड्स,2 द्रोहणाचार्य अवार्ड्स से कॉलेज गौरावन्तित हुआ। लाखों प्रतिष्ठित भारतीयों को गर्व है,कि वह इस ज्ञान के मंदिर का हिस्सा रहें हैं। कॉलेज की सबसे अविस्मरणीय हिस्सा विभाजन के समय का है, विभाजन के समय डी ए वी संस्थान नें शिक्षा को संरक्षित किया।शरणार्थी कॉलेज में रुके थे,राजस्व विभाग कॉलेज के छात्रावास में था। उस समय डी ए वी कॉलेज नें उत्तर भारत में शैक्षिक स्थिरता प्रदान करने में मदद की। तथा आज यह कॉलेज उत्तर भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक है। " कॉलेज के दृष्टि की बात की जाए तो कॉलेज का विज़न देश को ऐसे सर्वश्रेष्ठ नागरिक प्रदान करना है जो विद्या को शस्त्र बनाकर देश में सुधार लाने में सक्षम होंगे तथा जो देश की सेवा में लगे रहंगे , तथा ऐसे शख्स जो नैतिक मूल्यों से भरपूर होंगे.कॉलेज का मिशन विद्या , अनुसंधान और बाकि अहम क्षेत्रों में प्रगति लाना ताकि देश के  हर सेक्टर में क्वालिटी एजुकेशन से अहम सुधार आ सके , ताकि देश उन्नति के रह पर चल सके तथा एक प्रगतिशील समाज का निर्माण डी ए वी जालंधर का मुख्या उद्देश्य है"

प्रिंसिपल श्री सूरज भान जी जिन्हें स्टूडेंट्स आज भी प्यार करतें है, आज भी याद करतें है कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी और पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे और अंततः के  डी ए वी प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भी बने। 15 साल का सबसे लंबे समय तक कार्यकाल प्रिंसिपल बी एस बहल का रहा। वह अच्छी तरह से अपने अनुशासन के लिए जाना जाते रहे, उनका सबसे अधिक प्यार उन विद्यार्थियों के साथ रहा जिन्होनें शैक्षिक मानक बनाए रखा,जो खेलों में उत्कृष्ट रहें और जिन्होनें अतिरिक्त सांस्कृतिक गतिविधियों में अव्वल स्थान प्राप्त किया। प्रिंसिपल डॉ सतीश शर्मा की अगुवाही में कॉलेज नें नईं उचाईयों को छुआ। प्रिंसिपल सतीश नें कॉलेज में अंडर ग्रेजुएशन में को- एजुकेशन की शुरुआत की, जिससे कॉलेज में दाखिल संख्या में भारी वृद्धि हुई।

डी ए वी कॉलेज देश के प्रमुख शैक्षिक संस्थान में अपना स्थान रखता है, यू जी सी की नैक द्वारा कॉलेज को 'ए' ग्रेड के साथ मान्यता प्राप्त हुई (सी जी पी ए 3.76/4) जो भारत में सह-शिक्षा कॉलेजस में उच्चतम है, या यूं कहें सह- शिक्षा में डी ए वी कॉलेज  सबसे बड़ीऔर सबसे अच्छी संस्था है। साल 2016 में कोल्ल्व्गे को कॉलेज विथ पोटेंशियल फाई एक्सीलेंस से भी नवाज़ गया। प्रिंसिपल अरोड़ा नें कहा इस सौ वर्ष समारोह के दौरान सबसे पहले वैदिक आर्य सम्मेलन कराने का प्रस्ताव रखेंगे, नए पाठ्यक्रम और ओउटसोर्सिंग की शुरूआत करेंगे। कॉलेज अपनी वेबसाइट पर ओल्ड डेवीएन्स एसोसिएशन (ओडीए) का पेज बनाकर पूर्व छात्रों से जुड़ने और आर्थिक सहयोग देने के लिए लिंक बनायेगा। कॉलेज को उम्मीद है कि इसके द्वारा देश-विदेश से हज़ारों पूर्व छात्र फिर से कॉलेज से जुड़ेगें। इस मौके पर पूर्व छात्रों की मदद से विशेष स्कॉलरशिप और कॉलेज में नई सुविधाएं जुटाने की योजना भी है। उच्च गुणवत्ता रिसर्च लैब्स,शोध गतिविधियों को बढ़ावा , शिक्षकों को नई तकनीकों के प्रशिक्षण और छात्रों के लिए कई स्कॉलरशिप योजना में शामिल है।

प्रिंसिपल अरोड़ा नें सभी को कॉलेज के स्थापना दिवस पर बधाई और शुभकामनाये देते हुए कहा कि हम नमन करते है उन सभी लोगों को जिन्होनें इस कॉलेज के लिए अपना सारा जीवन समर्पित किया, हमें गर्व है कि हम इस विद्या के मंदिर से जुड़े है और हमें इसकी सेवा करने का मौका मिला। प्रिंसिपल अरोड़ा नें साल 2018 को कॉलेज के लिए "उपलब्धि का वर्ष" कहा। गौरतलब है की डी ऐ वी कॉलेज जालंधर को "पोटेंशियल फॉर एक्सीलेंस का अवार्ड यू जी सी की तरफ से दिया गया,तथा हमारा कॉलेज देश का सर्वश्रेष्ठ  को  - एजुकेशनल कॉलेज बना। डॉ एस के अरोड़ा ने कहा," डी ए वी कॉलेज सादगी और आधुनिकता का एक अद्वितीय मेल है जहाँ स्टूडेंट्स को आधुनिक तरीकों की मदद से वैल्यू बेस्ड एजुकेशन दी जाती है,समग्र दृष्टिकोण और पूर्ण व्यक्तित्व विकास ही हमारा मुख्य लक्ष्य रहा है और हमेशा रहेगा। हमारा कॉलेज सम्पूर्ण विकास पर उत्कृष्ट काम करता आया है तथा यहाँ पर सम्पूर्ण क्लास रूम कल्चर मौजूद है। क्लास बंक करके घर बैठने से हम डिग्री तो ले लेंगे मगर सही मायनो में विकसित नहीं हो पाएंगे . डी ऐ वी कॉलेज में उत्कृष्ट फैकल्टी और टीचर्स मौजूद हैं जो हमेशा कॉलेज की सेवा में मौजूद रहते हैं , तथा जो न सिर्फ़ किताबी ज्ञान बल्कि  बच्चों को ज़िन्दगी के मूल्य भी सीखते हैं , इस कॉलेज के प्रिंसिपल के तौर पर में बहुत गर्व महसूस कर रहा हूँ , मेरी यही दुआ है की मेरा यह कॉलेज अमर रहे।

डी ए वी कॉलेज उत्तर भारत का पहला बॉयज कॉलेज है, ऐसा पहला कॉलेज है जिसने 1948 में मैथ्स, इकोनॉमिक्स और संस्कृत की पोस्ट ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम की शुरुआत की। यह पहला कॉलेज बना जिसने 1971 में एम एस सी केमिस्ट्री की शुरुआत की। कॉलेज उत्तर भारत में ऐसा पहला कॉलेज बना  जिसे इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी नें पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के लिए अपना स्टडी सेंटर चुना। एम एस सी फिजिक्स की शुरुआत करने वाला पहला को-एजुकेशनल डी ए वी कॉलेज बना। उत्तर भारत का पहला और अकेला कॉलेज है जो पी जी स्तर तक संस्कृत की पढ़ाई निःशुल्क कराता है। भारत वर्ष का अकेला कॉलेज डी ए वी है जिसने लगातार दो बार युथ पार्लियामेंट की ट्राफी जीती और पहला और अकेला कॉलेज बना जिसने अभुतपूर्व 12 बार  नेहरू हॉकी चैंपियनशिप जीती। डी ए वी कॉलेज  पहला कॉलेज बना जिसने 2001 में खुद को नेक मान्यता के लिए प्रस्तुत किया। भारत के राष्ट्रपति डॉ रजिंदर प्रसाद कॉलेज में 1961 में दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह,राष्ट्रपति ज़ाखिर हुसैन, उपराष्ट्रपति वी वी गिरी भी कॉलेज का दौरा कर चुके हैँ।भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रधानमंत्री आई के गुजराल, मोरारजी देसाई भी कॉलेज का दौर कर चुके हैँ। 

खेल हस्तियों में कपिल देव, मिल्खा सिंह भी कॉलेज आ चुके हैँ। समाजिक कार्यकर्ता बाबा आमटे भी कॉलेज का दौर कर चुके हैँ। भारत में अमरीका के राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा भी पधारे चुकें हैं। डी ए वी कॉलेज में खेल-कूद और कला के साथ अकादमिक गुणवन्ता भी उतना ही मूल्यवान है। कई छात्र कॉलेज के अंतिम वर्ष में प्रतिष्ठित कंपनियों में प्लेसमेंट पा रहे हैं। हमारे कॉलेज का एक विशाल खेल का मैदान है। हमारे छात्रों में से कई अपने खेल में उत्कृष्ट, गंभीर, उच्च प्रशिक्षित और बहुत प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी हैं। संगीत, नाटक, चित्रकला, नृत्य, फिल्म और फोटोग्राफी के क्षेत्रों में हमारे छात्रों ने नए प्रतिमान गड़े हैं । हम वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव के अलावा, विभिन्न प्रतियोगिताओं और कार्यशालाओं कला के द्वारा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयासरत रहते  हैं। हमारे कॉलेज में कक्षाओं के दौरान एन . सी, सी और एन. एस. एस प्रशिक्षण के दौरान लगातार छात्रों को समझदार , जागरूक और जिम्मेदार बनाने के प्रयास के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। 

प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा नें सभी का धन्यवाद और बधाई देते हुए कहा,100 वर्षोँ की यात्रा पर, इस पूरे कालखंड में जिस किसी ने भी सहयोग किया है, वह सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं..!

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