(Date : 20/April/2424)

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डीएवी कॉलेज के कंप्यूटर साइंस विभाग ने करवाया ई-वेस्ट पर मॉडल मेकिंग कम्पटीशन






बेहतर ढंग से डिस्पोज नहीं किए जाने से पर्यावरण एवम मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रहा ई वेस्ट- प्रिंसिपल डा एस.के. अरोड़ा

जालन्धर (साहिल):-डीएवी कॉलेज के कंप्यूटर साइंस विभाग द्वारा ई-वेस्ट पर मॉडल मेकिंग कम्पटीशन करवाया गया। जिसमें कंप्यूटर विभाग के विद्यार्थियों द्वारा भाग लिया गया। कम्पटीशन का उद्देश्य विद्यार्थियों में ई- वेस्ट के प्रति जागरूकता लाना था। प्रिंसिपल डा एस. के. अरोड़ा ने कंप्यूटर विभाग के इस कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि समाज में जागरूकता लाने वाले इन मुद्दों पर कम्पीटिशन कराना बहुत ही प्रशंसनीय है। इलेक्ट्रॉनिक क्रांति ने हम लोगों के रहन-सहन में काफी बदलाव ला दिया है। आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रखना अब लोगों का स्टेटस सिंबल भी बन चुका है। ऐसे में खराब या पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। लेकिन, इन्हें बेहतर ढंग से डिस्पोज नहीं किए जाने से न सिर्फ पर्यावरण, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। इससे अनजाने में ही लोग शिकार बनते जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट मैनेजमेंट नियम लागू हो चुका है। बावजूद इसके नियमों को सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है। हमें इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा बनाए मॉडल की भी प्रशंसा की।

कंप्यूटर विभाग के अध्यक्ष डा. निश्चय बहल ने बताया कि लोगों को पता होना चाहिए कि ई वेस्ट का उपयोग कैसे किया जाए। उसे जलाया या बर्बाद न किया जाए। इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को जलाने से कार्सेनोजेन्स- डाईबेंजो पैरा डायोक्सिन (टीसीडीडी) एवं न्यूरोटॉक्सिन्स जैसी विषैली गैसें उत्पन्न होती हैं। इन गैसों से मानव शरीर में प्रजनन क्षमता, शारीरिक विकास एवं प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। साथ ही हार्मोनल असंतुलन व कैंसर होने की संभावनायें बढ़ जाती हैं। आज बच्चों ने इस कंपीटिशन में ई वेस्ट को उपयोग करके बेहतरीन मॉडल बनाए जो संदेश देते हैं कि ई वेस्ट को वातावरण का दुश्मन नहीं दोस्त बनाए।

प्रतियोगिता की कन्वीनर प्रो. मोनिका चोपड़ा ने कहा कि । विश्व में लगभग 200 से 500 लाख मी. टन ई-वेस्ट जनित होता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2005 में भारत में जनित ई-वेस्ट की कुल मात्रा 1.47 लाख मी. टन थी। जो कि वर्ष 2012 में बढ़कर लगभग 8 लाख मी. टन हो गई है। जिससे विदित है कि भारत में जनित ई-वेस्ट की मात्रा विगत 6 वर्षों में लगभग 5 गुनी हो गई है तथा इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है। हमें इस समस्या को दूर करना होगा। और यह कम्पटीशन बच्चों को इसके प्रति जागरूक करने में सहायक होगा। इस प्रतियोगिता में प्रथम मनीष पांडे एवम नवदीप सिंह, द्वितीय नमिता एवम अर्पणा, तृतीय नवनीत एवम अमनप्रीत कौर रहे। प्रथम विजेता द्वारा स्टरलिंग इंजन पर मॉडल बनाया गया। द्वितीय रहे ग्रुप द्वारा ई- साइकिलिंग पर मॉडल बनाया गया। तृतीय ग्रुप ने टेबल लैंप विथ क्लॉक बनाया।

इस कम्पटीशन के जजमेंट प्रो. विपिन झांजी एवम प्रो. अनु गुप्ता द्वारा की गई। प्रो. कंवलजीत कौर इस प्रतियोगिता की इंचार्ज थी, जिनकी देखरेख में यह सारी प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस दौरान कंप्यूटर विभाग से प्रो. ललित गोयल, प्रो. विशाल शर्मा, प्रो. नितिन भाटिया, प्रो. राजीव पूरी, प्रो. कविता, प्रो. रितिका मल्होत्रा एवम अन्य मौजूद रहे।

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